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बिहार के सहरसा में लोगों की गुहार- 'सड़क बनवा दे सरकार, बिटिया को जाना है ससुराल'

बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा में सड़क नहीं बनने से बच्चों की शादी-विवाह में अड़चन आ रही है। किसी की बेटी के हाथ पीले नहीं हुए हैं तो किसी के बेटे के। लोगों ने गुहार लगाते हुए कहा है कि सरकार सड़क बनवाने का कष्ट करे।

By Kundan SinghEdited By: Shivam BajpaiUpdated: Fri, 11 Nov 2022 08:06 PM (IST)
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बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा का मामला।
राजेश राय पप्पू, नवहट्टा (सहरसा) : सड़क बच्चों की शादी में बाधा बन रही है। नवहट्टा प्रंखड के बकुनियां पंचायत अंतर्गत इंजीनियर टोला गांव की यही सच्चाई है। करीब डेढ़ सौ घर वाले इस टोले में एक सड़क तक नहीं है। वह भी कई दशकों से। इस गांव के ग्रामीण डा. रामलखन यादव बताते हैं कि कई पीढ़ियों से तो किसी ने सड़क देखी ही नहीं है। गांव के लोगों की खेतों की पगडंडियों से आने-जाने की नियति बन गई है। उत्तर , दक्षिण , पूरब , पश्चिम सभी दिशाओं में पानी ही पानी है।

शादी में हो रही दिक्कत

स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ने के कारण युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है। वार्ड सदस्य मु. शहाबुद्दीन बताते हैं कि आज भी कई ऐसे युवक व युवतियां हैं जिनकी शादी में सड़क बाधा बन रही है। कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता। कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी कैसे करें। बेटा हो या बेटी, उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है।

कई परिवार का टूट रहा सपना

प्रमोद यादव ने अपने बच्ची की शादी मधेपुरा के सहुरिया में ठीक की। पहले तो रिश्ता सहरसा के शिवपुरी मुहल्ले में लड़की वाले का घर होने के कारण तय हो गया परंतु बाद में घर देखिया रस्म के तहत इंजीनियर टोला जाने पर रिश्ता रद्द कर दिया गया। महाजन यादव की पोती की शादी दरभंगा के किरतपुर में तय हुई। लड़का सूरत में काम करता था। शादी के लिए जब लड़का गांव आया तो इंजीनियर टोला शादी होने की बात की जानकारी होते ही रिश्ते के लिए ना कर गया। पंजाब में मजदूरी कर अच्छी कमाई करने वाला केशव प्रसाद चार वर्षों से बच्ची की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे हैं लेकिन गांव को लेकर कहीं भी रिश्ता तय नहीं हो रहा है।

खेती व मजदूरी का है सहारा

स्थानीय लोगों के अनुसार कोसी कटाव से लगातार पीड़ित होने के बाद बरसों पहले इंजीनियर साहब की 59 बीघे जमीन में लोग बसे थे। कोसी तल से ऊंचे होने के कारण बसे लेकिन आज तक टापू ही बना है। गांव आने-जाने के लिए पुल नहीं बन सका। यहां के लोगों के लिए खेती व मजदूरी ही जीने का आधार है। अधिकांश युवक गांव के बाहर मजदूरी करते हैं और बुजुर्ग खेती संभालते हैं। चारों तरफ यह गांव कोसी के पानी से घिरा हुआ है।

कहते हैं जनप्रतिनिधि

विधायक गुंजेश्वर साह ने बताया कि ग्रामीण कार्य विभाग एवं पुल निर्माण निगम के अभियंताओं के साथ पुल व सड़क निर्माण की संभावना की तलाश की गई है। मुखिया प्रतिनिधि सुधीर यादव ने बताया कि पंचायत मद में इतनी राशि नहीं है कि नदी में पुल कराया जा सके। विकास संबंधी कार्य योजना में स्थान दिया गया है।

कहते हैं अभियंता

ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि कोसी तटबंध के अंदर रहने के कारण फिलहाल इस गांव में सड़क नहीं बनी है।

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