Saharsa News: कोसी में साथ-साथ होगी सूर्यमुखी खेती और मधुमक्खी पालन, किसानों को किया जाएगा जागरूक
मधुमक्खियां अपने छत्ते से तीन किमी तक की परिधि में परागण करने में सक्षम हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए अनुसंधान के बाद सूर्यमुखी की फसल के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे गुणवत्तायुक्त शहद भी प्राप्त होगा। परागण के कारण बेहतर किस्म का दाना प्राप्त होने से सूर्यमुखी का तेल भी अधिक और उत्तम किस्म का तैयार होगा।
कुंदन कुमार, सहरसा। कोसी क्षेत्र में सूर्यमुखी की खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी किया जाएगा। मधुमक्खी पालन से शहद का उत्पादन तो बढ़ेगा है, साथ ही मधुमक्खियां सूर्यमुखी के फूलों में परागण को भी सुनिश्चित करने में सहायक होंगी। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा।
प्रथम चरण में इस कार्य में जीविका दीदियों को जोड़ा जा रहा है। आने वाले दिनों में इसे विस्तार देने की योजना है। जहां कुछ कीट फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, वहीं मधुमक्खियां अपने परागण से इसे फायदा पहुंचाती हैं। सूर्यमुखी के खेत में मधुमक्खी के परागण से अच्छी गुणवत्ता वाले फसल और बीज प्राप्त होते हैं।
गुणवत्तायुक्त शहद होगा प्राप्त
मधुमक्खियां अपने छत्ते से तीन किमी तक की परिधि में परागण करने में सक्षम हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किए गए अनुसंधान के बाद सूर्यमुखी की फसल के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे गुणवत्तायुक्त शहद भी प्राप्त होगा। परागण के कारण बेहतर किस्म का दाना प्राप्त होने से सूर्यमुखी का तेल भी अधिक और उत्तम किस्म का तैयार होगा।
कृषि विज्ञानी डॉ. आरसी यादव का कहना है कि खेती के लिए सूर्यमुखी के सूर्या व मार्डेन प्रभेद का चयन किया गया है। तेज हवा में मधुमक्खी पालन कठिन होता है। ऐसे में सूर्यमुखी के छायादार पौधे इसके लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं।
मधुमक्खियों के माध्यम से होने वाला परागण सूर्यमुखी के विकास में काफी सहायक होता है। इस लिहाज से एक ही खेत में सूर्यमुखी व शहद उत्पादन की योजना बनाई गई है, ताकि किसान दोहरा लाभ प्राप्त कर सकें। - ज्ञानचंद्र शर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा