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हाय रे गरीबी! लोन चुकाने के लिए खून बेचने को मजबूर हुआ परिवार, स्वयं सहायता समूह से लिए थे 35 हजार रुपये

समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड की रहने वाली गुलनाज देवी ने किसानी-खेती के लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए एक बैंक से 35 हजार रुपये कर्ज लिए थे। हालांकि खेती से हो रही आमदनी से पूरे परिवार का पेट पालना भी मुश्किल था। बैंक का लोन चुकाना तो दूर की बात थी। परिवार पर लोन की किश्त जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था।

By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sat, 01 Jul 2023 03:15 PM (IST)
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बिहार में लोन चुकाने के लिए खून बेचने अस्पताल गया परिवार, स्वयं सहायता समूह से लिए थे 35 हजार रुपये

समस्तीपुर, एजेंसी (IANS)। बिहार के समस्तीपुर में खून बेचकर लोन चुकाने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। गरीबी और लाचारी से जूझ रहा एक परिवार शुक्रवार को अपना खून बेचने के लिए सदर अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचा था।

जानकारी के मुताबिक, समस्तीपुर के वारिसनगर प्रखंड की रहने वाली गुलनाज देवी ने किसानी-खेती के लिए स्वयं सहायता समूह के जरिए एक बैंक से 35 हजार रुपये कर्ज लिए थे। हालांकि, खेती से हो रही आमदनी से पूरे परिवार का पेट पालना भी मुश्किल था। बैंक का लोन चुकाना तो दूर की बात थी। परिवार पर लोन की किश्त जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, पीड़ित महिला गुलनाज देवी ने बताया कि मैंने अपने पति के साथ मिलकर पैसे कमाकर लोन चुकाने की हर संभव कोशिश की। रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार भी मांगा, लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की।

दुर्दशा सुनकर ब्लड बैंक के कर्मी हुए हैरान

महिला ने बताया कि फिर हमारे मन में लोन की किश्त जमा करने के लिए खून बेचकर कुछ पैसे कमाने का ख्याल आया। शुक्रवार को महिला अपने पति के साथ समस्तीपुर सदर अस्पताल पहुंची। यहां ब्लड बैंक के अधिकारियों ने जब गुलनाज और उनके पति की दुर्दशा के बारे में सुना, तो स्थानीय प्रशासन को घटना की जानकारी दी।

समस्तीपुर के वारिसनगर ब्लॉक कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि हमें सदर अस्पताल के ब्लड बैंक से ऐसी घटना के बारे में पता चला है। अधिकारियों ने हमें सूचित किया है, लेकिन हमें पीड़ितों की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है। हम परिवार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। 

क्या है स्वयं सहायता समूह

बता दें कि बिहार में 10 लाख स्वयं सहायता समूह संचालित हैं। हर समूह में एक गांव या पंचायत की 10 से 15 महिलाएं शामिल रहती हैं, जो अपने-अपने गांव की अन्य महिलाओं को व्यवसाय और कृषि उद्देश्यों के लिए बैंक से 2 लाख रुपये तक का लोन दिलवाती हैं।

बैंक 2 प्रतिशत से 4 प्रतिशत के ब्याज पर महिलाओं को लोन देता है। आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, किश्तों का भुगतान नहीं होने की स्थिति में ऋणदाता उधारकर्ताओं पर दबाव नहीं डाल सकते।

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