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'1977 जैसी स्थिति के लिए जेपी जैसा नेता भी जरूरी', विपक्षी एकता पर प्रशांत किशोर बोले- मन का भी मेल हो तभी लाभ

प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी दलों की बैठक का बहुत बड़ा प्रभाव जनमानस पर नहीं पड़ेगा। प्रभाव तब पड़ेगा जब विपक्षी एकता में जुटे नेताओं और दलों के बीच मन का भी मेल हो। नैरेटिव भी हो जनता का कोई मुद्दा हो ग्राउंड पर काम करने वाले वर्कर भी हो और उस समर्थन को जनता की भावना में उसे वोट में बदला भी जाए।

By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Tue, 18 Jul 2023 10:19 AM (IST)
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विपक्षी एकता पर प्रशांत किशोर बोले- मन का भी मेल हो तभी लाभ
जागरण संवाददाता, दलसिंहसराय (समस्तीपुर)। पटना के बाद बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक का आज दूसरा दिन है। इसे लेकर पक्ष और विपक्ष के नेताओं की बयानबाजी खूब हो रही है। इस बीच रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी एकता सिर्फ विभिन्न दलों के नेताओं के एकसाथ बैठने से नहीं होती।

पीके ने कहा कि विपक्षी दलों की बैठक का बहुत बड़ा प्रभाव जनमानस पर नहीं पड़ेगा। प्रभाव तब पड़ेगा, जब विपक्षी एकता में जुटे नेताओं और दलों के बीच मन का भी मेल हो। नैरेटिव भी हो, जनता का कोई मुद्दा हो, ग्राउंड पर काम करने वाले वर्कर भी हो और उस समर्थन को जनता की भावना में उसे वोट में बदला भी जाए।

समस्तीपुर में जन सुराज पदयात्रा के तहत दलसिंहसराय शहर के आरबी कालेज में प्रशांत किशोर ने ये बातें प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कई लोगों को ऐसा लगता है कि 1977 जैसी स्थिति बनेगी, पर जेपी जैसा नेता भी चाहिए। यदि इमरजेंसी नहीं लगता तो इंदिरा गांधी नहीं हारतीं।

पीके ने कहा कि बोफोर्स के मुद्दे को लेकर राजीव गांधी की सरकार को हटाकर बीपी सिंह सत्ता में आए थे। दल तो बाद में एक हुए, पहले बोफोर्स मुद्दा बना। प्रशांत किशोर ने कहा मौजूदा वक्त में नीतीश कुमार उसी भूमिका में हैं, जिस भूमिका में चंद्रबाबू नायडू थे और वे बुरी तरह हार गए थे।

उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार यदि कोलकाता में बैठ जाएं तो उससे वहां रहने वाले लोगों और उनकी जनभावना पर भला क्या असर पड़ेगा। इसी तरह ममता बनर्जी समस्तीपुर में आ जाएं तो यहां की जनता को क्या मतलब है।

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