Samastipur News: मेले में भगदड़ से कैसे बचें? बिहार के गुरुजी ने गाकर बच्चों को आसानी से समझाया, VIDEO हो रहा वायरल
Samastipur News समस्तीपुर के मालदह प्राथमिक कन्या विद्यालय के शिक्षक वैद्यनाथ रजक अपने अनोखे पढ़ाने के तरीके से बच्चों को जागरूक करते हैं। वे गाना गाकर बच्चों को लू से बचने सड़क पर चलने का तरीका और भगदड़ से बचने के तरीके सिखाते हैं। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। बिहार सरकार ने उन्हें शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया है।
प्रकाश कुमार, समस्तीपुर। Samastipur News: शिक्षक हिंदी और अंग्रेजी के, पढ़ाने का तरीका जरा अलग। रोचक अंदाज में ज्ञान की बातें, उद्देश्य बस इतना कि बच्चे आसानी से समझ जाएं। ये हैं समस्तीपुर के हसनपुर स्थित मालदह प्राथमिक कन्या विद्यालय के शिक्षक वैद्यनाथ रजक।
कभी गाना गाकर बच्चों को लू से बचने का उपाय बताते हैं तो कभी सड़क पर चलने का तरीका समझाते हैं। उनका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर भी पसंद किया जा रहा है। बैद्यनाथ ने बताया कि बालमन कितना भोला होता है, उसे मेले की एक-एक चीजों में कौतूहलता की अनुभूति होती है।
रावण वध के समय पटाखों की आवाज तो बच्चों के लिए आनंदातिरेक का चरम होता है लेकिन वहीं भीड़ कभी-कभी परेशानी का भी सबब बनती है। ऐसे में बच्चों पर अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। बैद्यनाथ रजक बच्चों को पढ़ाने और उसे जागरूक करने को लेकर अपने अंदाज के लिए हमेशा चर्चा में रहे हैं। बिहार सरकार ने उन्हें शिक्षक सम्मान से सम्मानित भी किया है।
भगदड़ से बचने के लिए अनोखे अंदाज में गया गाना
वायरल वीडियो में शिक्षक, गीत के माध्यम से बच्चों को माता-पिता या अपने बड़े-बुजुर्ग के साथ मेला में घूमने, रास्ते में सावधानी के साथ बाएं चलने, देखकर सड़क पार करने और अत्यधिक भीड़ का हिस्सा नहीं बनने की नसीहत देते नजर आ रहे हैं।
गीत के माध्यम से वैद्यनाथ रजक बच्चों को कहते हैं कि सुन-सुन रे चुनवा मुनवा, हमरो बचनिया कि मेला में रखिए एतना ध्यान रे। भगदड़ भीड़ से खुद के बचइहिए। समय नई रहि छै समान हे। पापा के हाथ ना छोड़िए, मम्मी के साथ ना छोड़िहिएं, नई छोड़िहिएं अपना सब के संग रे। घर के मोबाइल नंबर याद तू रखिए, नई घटतो तोहरो उमंग रे।
रोचक तरीके से गंभीर विषयों की जानकारी
बैद्यनाथ रजक बताते हैं वर्ष 2006 में उन्होंने यहां योगदान दिया था। यहां करीब 250 बच्चे हैं, उन्हें प्रभावशाली और रोचक तरीके से गंभीर विषयों के बारे में जानकारी दी जा रही है। गीत-संगीत और भाव-भंगिमा से बच्चे आसानी से सीखते हैं। कोराना की दूसरी लहर के बाद स्कूल खुलने पर मास्क और दो गज की दूरी पर गीत बनाया था। वे स्वयं गीतों की रचना करते हैं।
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