Bihar News In Hindi सरकार द्वारा बिहार निबंधन नियमावली में किए गए संशोधन से क्षेत्रवासियों की परेशानी काफी बढ़ गई है। आकस्मिक कार्यों के लिए पूर्व से जमीन बेचने की योजना पर ग्रहण लगने से लोगों में हाहाकार की स्थिति है। निबंधन कार्यालय और अंचल कार्यालय में दौड़ लगाने के साथ-साथ लोग कर्ज के लिए साहूकारों का चक्कर काटने लगे हैं।
संवाद सूत्र, रोसड़ा (समस्तीपुर)। नीतीश सरकार द्वारा बिहार निबंधन नियमावली में किए गए संशोधन से क्षेत्रवासियों की परेशानी काफी बढ़ गई है। इस नए नियम से क्रेता-विकेता सभी परेशान हैं। वहीं सरकार के राजस्व मे भी अप्रत्याशित कमी हुई है।
नियम में बदलाव के बावजूद, जानकारी के अभाव में आज भी लोग पूर्व की तरह अद्यतन रसीद व संबंधित दस्तावेज या खतियान लेकर निबंधन कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन कर्मी अथवा कातिब द्वारा नए नियम का हवाला देते हुए रजिस्ट्री नहीं होने की जानकारी मिलते ही लोग मर्माहत हो जाते हैं।
काफी देर तक एक दूसरे से पूछताछ के बाद मायूस चेहरा लिए वापस हो रहे हैं।
बुधवार को भी निबंधन कार्यालय रोसड़ा से करीब एक दर्जन विक्रेता वापस लौट गए। सभी अपनी-अपनी परेशानी बताते हुए सरकार और विभाग को ही कोस रहे थे।सिंधिया प्रखंड के निमी निवासी बुद्धु महतो पौत्री की शादी के लिए जमीन बेचने आए थे।
कहा कि जमाबंदी रहने के बावजूद ऑनलाइन नही दिखने के कारण निबंधन नहीं हो सका। उन्होंने बिक्री नहीं होने के कारण साहुकारो से महंगे कर्ज लेने की मजबूरी बतायी। हसनपुर के रामकुमार चौधरी कैंसर पीड़ित पत्नी की ईलाज के लिए जमीन बेचने आए थे, लेकिन उन्हें भी नए नियम का दंश झेलना पड़ा।
इसके अलावा, शिवाजीनगर कांकड़ के अनिल कुमार तथा बिथान के रामजपो यादव भी कर्ज से मुक्ति पाने के लिए जमीन बेचने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी वापस होना पड़ा।
निबंधन पर क्यों लगा ब्रेक ?
वर्ष 2019 में ही सरकार द्वारा बिहार निबंधन नियमावली संशोधन को पारित किया था।
इसके विरुद्ध दायर याचिका पर उच्च न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश पारित किया गया था।
पांच वर्ष बाद 9 फरवरी 2024 को कोर्ट द्वारा जारी आदेश के आलोक में विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना 21 फरवरी को जारी की गई। उसके बाद से निबंधन पर जैसे ब्रेक लग गया।
70-80 की जगह दो-चार का ही हो रहा निबंधन
प्रतिदिन 70 से 80 निबंधन की जगह अब महज दो चार ही कार्य निष्पादन होता है। औसतन 14 से 15 लाख की नियमित राजस्व की जगह महज डेढ़ लाख तक ही सिमट रहा है। नए नियम के बाद 23 फरवरी को 09, 25 फरवरी को 01 तथा 27 फरवरी को केवल छह दस्तावेज ही पेश हो सका। इस प्रकार राजकीय कोष में भी अप्रत्याशित कमी आ गई है।
ग्रामीण क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोग प्रभावित
नए नियमावली के तहत पहले जमाबंदी और फिर निबंधन का आदेश जारी किया गया है, लेकिन अंचल कार्यालय से जमाबंदी कायम कराना टेढ़ी खीर है।
बताते चलें कि इस नए नियम ने खानदानी संयुक्त तथा आपसी बंटबारा से प्राप्त जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
जानकारी के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र के 80 प्रतिशत लोग सीधे इससे प्रभावित हैं। जमाबंदी कायम कराने की जटिल प्रक्रिया राजस्व कार्यालयों की स्थिति के कारण ऐसे लोगो के लिए यह कार्य आसान नहीं है।
पहले ऑनलाइन आवेदन, फिर...
पहले ऑनलाइन आवेदन, फिर 14 दिन का इंतजार और उसके बाद कार्यालय का चक्कर काटने के बावजूद आधा से अधिक का आवेदन किसी न किसी कारण को दर्शाकर निरस्त कर दिया जाता है।
परेशान लोग अधिवक्ता के माध्यम से भूमि सुधार उपसमाहर्ता के न्यायालय में वाद दायर करते हैं। इस प्रक्रिया से गुजर रहे आज भी दर्जनों लोग कार्यालय का चक्कर काटते नजर आते हैं।
परेशान लोगों की मानें तो पांच वर्ष पूर्व नियमावली में संशोधन किया गया। सरकार यदि जमाबंदी कायम कराने के लिए सुलभ प्रयास करती तो लोगो के समक्ष यह परेशानी उत्पन्न नहीं होती।
समस्तीपुर के रोसड़ा निबंधन कार्यालय आए अनिल कुमार ठाकुर और कपलेश्वर महतो ने अंचल में पुरी प्रक्रिया दुरुस्त किए बिना नए नियम को लागू करने पर आपति जताई है। उन्होंने आपसी बंटबारा के बावजूद अंचल कार्यालय द्वारा राजस्व रसीद काटने में आना कानी करने का आरोप लगाया। वहीं ऑनलाइन में गड़बड़ी के कारण भी विक्रेता को परेशान होना बताया है।
निबंधन कार्यालय रोसड़ा क्षेत्र अंतर्गत निबंधित होने वाले दस्तावेजों में काफी कमी आई है। राजस्व पर इसका सीधा असर पड़ा है।निबंधन विभाग द्वारा राजस्व विभाग को जमाबंदी कायम करने हेतु अतिशीघ्र कार्रवाई करने संबंधित पत्र भी जारी किया गया है।
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डॉ शकील रजा
अवर निबंधक , रोसड़ा
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