Bihar News: इस फूल की खेती से मालामाल हो रहे हैं यहां के किसान, एक एकड़ में इतनी होती है कमाई; लागत भी कम
सारण जिले के एक गांव आधा दर्जन किसान गेंदे के फूल की खेती करते हैं। यह गांव गेंदा के फूल की खेती का हब बन गया है। इसकी खेती से ही उनके परिवार की परवरिश होती है। गांव के एक किसान द्वारा जो इसकी शुरूआत की गई अब उनसे प्रेरित होकर आधा दर्जन किसान आठ एकड़ में गेंदा के फूल की खेती कर रहे हैं।
राणा प्रताप सिंह, तरैया (सारण)। परंपरागत खेती को छोड़ कर प्रखंड के चंचलिया पंचायत के चंचलिया गांव में आधा दर्जन किसान गेंदे के फूल की खेती करते हैं। यह गांव गेंदा के फूल की खेती का हब बन गया है। इसकी खेती से ही उनके परिवार की परवरिश होती है।
गांव के एक किसान द्वारा जो इसकी शुरूआत की गई, अब उनसे प्रेरित होकर आधा दर्जन किसान आठ एकड़ में गेंदा के फूल की खेती कर रहे हैं। सभी किसान अब इसके अलावा रजनीगंधा व अन्य फूलों की भी खेती कर रहे हैं और आर्थिक रूप से स्वावलंबी हुये हैं।
इसका बाजार सारण जिला के साथ साथ वैशाली व पटना है। इसके कारण कोलकाता के फूलों पर निर्भरता कम हुई है। वहां वर्ष 2004 में एक-दो कट्ठा में गेंदे के फूल की खेती कर इसकी शुरुआत की गई थी। किसान अंबिका भगत ने बताया कि जैसे जैसे फूल की मांग बढ़ी, वैसे वैसे दायरा बढ़ते चला गया।
इसका बाजार सारण जिला के साथ साथ वैशाली व पटना हैं। अब लगभग 17 वर्षों से आधा दर्जन से अधिक किसान आठ एकड़ में गेंदा के फूल की खेती कर अपने व अपने चार दर्जन से अधिक स्वजनों का जीविकोपार्जन करते हैं। पारंपरिक खेती से अलग हटकर इसकी खेती से बहुत ही आर्थिक मजबूती मिली है।
गेंदे के फूल की खेती में ज्यादा आमदनी
किसान नवीन कुमार ने बताया कि अन्य की अपेक्षा गेंदे के फूल की खेती में ज्यादा आमदनी है। अगर सरकार आर्थिक मदद करती तो और बेहतर तरीके से खेती कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, लेकिन अबतक कोई पहल नहीं की गई है। किसान भोला भगत ने बताया कि गेंदे के फूल के पौधे को बंगाल से मंगाया जाता है।उसके बाद उस छोटे पौधे (चारा) की बुआई की जाती है। वह प्रति हजार छह सौ रुपये में मिलता है। यहां संसाधन की कमी के कारण बीज का उत्पादन संभव नहीं हो पाता है। इसके कारण आज भी ऊंचे कीमत पर बाहर से मंगा कर खेती की जाती है।
किसान नवल भगत ने बताया कि अन्य फसल की अपेक्षा इसकी खेती में आमदनी तो है लेकिन मेहनत कुछ ज्यादा है। समय-समय पर पटवन से लेकर कीटनाशक का छिड़काव भी किया जाता है। फसल की उन्नति के लिए जिंक, पोटाश, थाइमेक्स व डीएपी मिक्सचर पौधों में दिया जाता है।
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