बिहार में Dengue और Viral Fever का प्रकोप; अस्पतालों में मरीजों की लंबी-लंबी लाइन, दवा कारोबार में उछाल दर्ज
बिहार के कई जिलों में डेंगू और वायरल बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है। सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी चिकित्सालयों में भी मरीजों की भीड़ देखने को मिल रही है। दिघवारा सीएचसी में पांच दिनों में 35 डेंगू मरीजों की पहचान हुई है। डेंगू और वायरल बुखार के बढ़ते प्रकोप के बाद दवा कारोबार में काफी उछाल दर्ज किया गया है।
संवाद सूत्र, दिघवारा। Dengue And Viral Fever दिघवारा के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वायरल बुखार और डेंगू फैलता जा रहा है। लोग बुखार से तप रहे हैं। पिछले पांच दिनों में सीएचसी में जांच के दौरान डेंगू के 35 मरीज मिले हैं। वहीं, डेंगू के डंक से बढ़ते मरीजों की भीड़ निजी क्लीनिकों में भी पहुंच रही है।
ये मरीज नगर पंचायत क्षेत्र के हेमतपुर, राईपट्टी, बसतपुर, चकनूर, सैदपुर, बगहीं, दिघवारा पूर्वी ढाला क्षेत्र, शंकरपुर रोड, पेट्रोल पंप सहित ग्रामीण क्षेत्र के आमी, बोधा छपरा, हराजी, झौवां, मानूपुर, शीतलपुर आदि क्षेत्रों के रहने वाले हैं।
नगर पंचायत प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। हालांकि, सीएचसी प्रभारी डॉ. रोशन कुमार का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।
दवा कारोबार में उछाल दर्ज
वायरल बुखार, मलेरिया और डेंगू के बढ़ते मरीजों का असर दवा के कारोबार पर पड़ रहा है। डॉ. जय प्रकाश राय का कहना है कि लगभग हर घर में बुखार के मरीज होने के चलते पेरासिटामोल की मांग में इजाफा हुआ है। इसके अतिरिक्त, प्लेटलेट्स बढ़ाने व लिवर की दवाई की मांग बढ़ी है। सबसे ज्यादा पेरासिटामोल 650 एमजी की बिक्री बढ़ी है।
दवा कारोबारी साबीर अंसारी बताते हैं कि बुखार में उपयोग होने वाली पेरासिटामोल टेबलेट की बिक्री 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री की मांग भी बढ़ी है।
खूब बिक रहे प्लेटलेट्स बढ़ाने के इंजेक्शन व टैबलेट
डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्लेटलेट्स बढ़ाने के इंजेक्शन और टैबलेट की मांग ने जोर पकड़ लिया है। बुखार आने के बाद प्लेटलेट्स डाउन होने के मरीज काफी ज्यादा निजी क्लीनिकों में पहुंच रहे हैं।
ऐसी समस्या से निजात पाने के लिए प्लेटलेट्स बढ़ाने की दवा ज्यादा बिक रही है। दवा व्यापारी प्रमोद कुमार ने बताया कि कैरीपिल टैबलेट व आयुर्वेद की प्लेसेंटा की सबसे ज्यादा मांग है। इसके अतिरिक्त लिवर की दवाओं की मांग भी बढ़ गई है।
अपनाए जा रहे देशी नुस्खे
नगर सहित गांव ग्रामीण क्षेत्र में वायरल बुखार व डेंगू के बढ़ते मरीजों के चलते उनके स्वजन देसी नुस्खे भी खूब आजमा रहे हैं। ऐसे ही नुस्खों में खासकर डेंगू के बुखार में पपीते के पत्ते का रस, नारियल पानी व बकरी के दूध के इस्तेमाल का इन दिनों खूब शोर मचा हुआ है। इस वजह से बकरी के दूध की मांग भी बढ़ गई है।
बकरी के दूध में औषधीय गुण
नगर पंचायत दिघवारा के आयुर्वेदाचार्य नीरज कुमार के अनुसार, बकरी के दूध में वसा की मात्रा कम होती है, कैल्सियम और फास्फोरस अधिक मात्रा में पाया जाता है। फैट कम होने से यह डेंगू के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि डेंगू का मरीज जितनी मात्रा में तरल पदार्थ लेगा, उतनी जल्द ही स्वस्थ होगा।
उन्होंने बताया कि बकरी के दूध में विटामिन ए और बी की बहुतायत होती है। बकरी का दूध हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के साथ स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखता है। इसमें औषधीय गुण भी होते हैं। इसमें लिनोलिक एसिड मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देता है।
विशेषज्ञ की सलाह
ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि बकरी का दूध पीने से बुखार के दौरान प्लेटलेट्स में वृद्धि हो या गिरावट थम जाए। दरअसल, डेंगू में सबसे ज्यादा दिक्कत प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट होते रहने से आती है। कभी-कभी प्लेटलेट्स 10 हजार ही रह जाती हैं। लेकिन मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं हो तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती। मरीज को मूवमेंट नहीं रखना चाहिए। डेंगू का वायरस छह दिन तक प्रभाव डालता है। इसके बाद मरीज धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है। वैसे कोई भी बुखार प्लेटलेट्स कम कर सकता है। - डॉ. रोशन कुमार, दिघवारा, सीएचसी
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