Bihar: भाइयों की कलाई पर बंधेगी घास की राखियां, जानिए कौन कर रहा ऐसे इको फ्रेंडली प्रोडक्ट का निर्माण
Happy Rakshabandhan 2023 मांझी में जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं प्रतिदिन सिक्की घास की 400- 450 पीस राखियां बना रही हैं। यह राखियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं। सिक्की घास की राखियां गुजरात में भी भेजी गई हैं। इसके अलावा सिक्की घास की राखियों को इस रक्षाबंधन ऑनलाइन दिल्ली-मुंबई में भी बेचने की तैयारी भी की जा रही है।
By rajeev kumarEdited By: Aysha SheikhUpdated: Tue, 01 Aug 2023 05:55 PM (IST)
अमृतेश, छपरा: इस बार रक्षाबंधन में सारण की सिक्की घास की बनी इको फ्रेंडली राखियां भाइयों की कलाइयों पर सजेंगी। रंग-बिरंगी और विभिन्न प्रकार की राखियां सारण के मांझी प्रखंड स्थित कुशाग्राम जीविका की महिलाएं बना रही हैं। सिक्की उत्पादक समूह की 25 महिलाएं रक्षाबंधन के लिए सिक्की/कुश की घास से राखी का निर्माण कर रही हैं।
महिलाएं 400-450 पीस प्रतिदिन बना रहीं
मांझी में जीविका समूह से जुड़ी महिलाएं प्रतिदिन सिक्की घास की 400-450 पीस राखियां बना रही हैं। समूह की महिलाएं राखियों का निर्माण कर उनकी पैकिंग भी करती हैं। यह राखियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं।
राखियों को सतत जीविकोपार्जन योजना से जुड़ी इन 25 अत्यंत गरीब महिलाओं के द्वारा बनाया जा रहा है। इनका परिवार देसी -शराब एवं ताड़ी के पारंपरिक व्यापार से जुड़ा हुआ था, लेकिन जिला एवं मांझी प्रखंड के एसजेवाई टीम के मार्गदर्शन में ये दीदियां सामाजिक एवं आर्थिक विकास की राह पर अग्रसर हैं।
सिक्की घास की राखियों की कीमत कितनी?
सिक्की घास से बनी राखियों को बना कर जीविका दीदी आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं। राखी की कीमत 10 रुपये, 30 रुपये, 60 रुपये है। 10 रुपये की राखी की लागत चार रुपये, 30 रुपये की राखी की लागत 10 एवं 60 रुपये की राखी की लागत 25 रुपये पड़ रही है। इसी हिसाब से जीविका दीदी थोक भाव से बेच रही हैं।
गुजरात भेजी गई सिक्की घास से बनी राखियां
मांझी प्रखंड स्थित कुशाग्राम जीविका की सिक्की घास की राखियां गुजरात में भी भेजी गई है। जीविका के संचार प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि जी–20 सम्मेलन पटना चैप्टर में जीविका समूह की महिलाओं ने स्टॉल लगाया था। इसमें अशोका विश्वविद्यालय गुजरात के उप निदेशक गौतम पटेल भी आए थे।उन्होंने वहां राखी देखकर करीब साढ़े तीन हजार की राखियों का आर्डर दिया था। इसे डाक से भेजा गया है। इसके अलावा, सिक्की घास की राखियों को इस रक्षाबंधन ऑनलाइन दिल्ली-मुंबई में भी बेचने की तैयारी भी की जा रही है।
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