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बिहार में शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, स्कूल न जाने वाले 30 हजार विद्यार्थियों का काटा नाम; हेडमास्टरों पर भी एक्शन

बिहार के सारण जिले में शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। शिक्षा विभाग ने स्कूल न जाने वाले 30 हजार से अधिक विद्यार्थियों का नाम काट दिया है। इनमें से कई विद्यार्थी 10वीं कक्षा के हैं जिनके लिए स्कूल में उपस्थित होना काफी महत्वपूर्ण है। बावजूद इसके स्कूल न आने पर शिक्षा विभाग ने इनका नाम काट दिया है।

By Amritesh KumarEdited By: Rajat MouryaUpdated: Thu, 12 Oct 2023 02:15 PM (IST)
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बिहार में शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, स्कूल न जाने वाले 30 हजार विद्यार्थियों का काटा नाम (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, छपरा। Bihar School News सारण जिले में शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों में नामांकन कर क्लास नहीं लेने वाले विद्यार्थियों पर बड़ी कार्रवाई है। जिले के 20 प्रखंडों में लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहने वाले हैं 30 हजार 199 विद्यार्थियों का नाम काट दिया है। पहली कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के ये विद्यार्थी हैं।

जिले के अमनौर प्रखंड में सबसे अधिक 8193 विद्यार्थियों का नाम काटा गया है। वहीं, सबसे कम पानापुर प्रखंड में 126 विद्यार्थियों का विद्यालय नहीं आने पर नाम काटा गया है। इनमें से वैसे भी विद्यार्थी हैं जो 10वीं में पढ़ाई कर रहे हैं और उनके लिए स्कूल आना काफी महत्वपूर्ण है। ये विद्यार्थी अब दसवीं की परीक्षा देने से भी वंचित रह जाएंगे।

प्रधानाध्यापक को दिए गए निर्देश

जिला शिक्षा पदाधिकारी कौशल किशोर ने सभी प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया है कि एक सप्ताह बिना सूचना के अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों का नाम काटकर सूचित करें। ऐसा नहीं करने पर प्रधानाध्यापक पर ही कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विभाग के नए नियम

अब स्कूलों में बच्चों की कम उपस्थिति प्रधानाध्यापकों के लिए भी नई मुसीबत बन गई है। जिन स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत से कम है। वहां के प्रधानाध्यापक नामांकन रद्द करने में संकोच व्यक्त कर रहे हैं। ऐसे प्रधानाध्यापकों पर भी अब कार्रवाई की जाएगी।

निरीक्षण के दौरान स्कूलों में 50 फीसदी से कम उपस्थिति पाई जाती है, तो प्रधानाध्यापक का वेतन रोका जाएगा। 30 हजार छात्र- छात्राओं के नाम स्कूल से कट चुके हैं। ये सभी ऐसे बच्चे हैं, जो सिर्फ सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए सरकारी स्कूल में नामांकन कराते हैं। ये बच्चे स्कूल नहीं आते हैं। ऐसे में स्कूल में छात्रों की उपस्थिति नामांकन के अनुरूप नहीं होती है।

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