Bihar: छपरा से सटे इस गांव में शाम ढलते ही धुआं उलगलने लगती हैं शराब भट्ठियां, लोगों का सांस लेना हुआ मुश्किल
साहब! ध्यान दिजिए यहां शाम ढ़लते ही शराब की भट्ठियां धुआं उलगलने लगती है। यह गुहार छपरा के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से प्रभुनाथ नगर और उमा नगर के रिहाइशी बस्ती के लोगों की है। यह इलाका शराब भट्ठी का पुराना अड्डा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां कच्चे शराब का निर्माण तब से हो रहा है जब यहां कोई बस्ती नहीं हुआ करती थी।
By rajeev kumarEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 17 Jul 2023 06:20 PM (IST)
जागरण संवाददाता, छपरा: साहब! ध्यान दिजिए, यहां शाम ढ़लते ही शराब की भट्ठियां धुआं उलगलने लगती है। यह गुहार छपरा के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से प्रभुनाथ नगर और उमा नगर के रिहाइशी बस्ती के लोगों की है। यह बस्ती छपरा शहर से सटे साढ़ा ग्राम पंचायत व मुफस्सिल थाना इलाके की है।
अंधेरा होते ही इन दोनों बस्तियों की सीमा पर शराब की भट्ठियों का चूल्हा जल उठता है। इन भट्ठियों में बनने वाले देसी शराब की बदबू से यहां का लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है।
शराब भट्ठी का पुराना अड्डा है यह इलाका
यह इलाका शराब भट्ठी का पुराना अड्डा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां कच्चे शराब का निर्माण तब से हो रहा है, जब यहां कोई बस्ती नहीं हुआ करती थी। पूरा इलाका चंवर था और धड़ल्ले से शराब निर्माण होता था।सूबे में तब शराब बंदी नहीं थी, लेकिन यह कारोबार अवैध था। अब इस चंवर में बस्ती बस गई है और शराब बनाने ही नहीं पीने पर भी बंदिश है। बावजूद इस इलाके में शराब निमार्ण का काम अब भी धड़ल्ले से चल रहा है।
महुआ और यूरिया से बनाया जाता है शराब
यहां शराब का निर्माण महुआ और यूरिया के मिश्रण से होता है। यहां के जलजमाव वाले गड्ढ़े में महुआ को सड़ाया जाता है। इसके बाद उसमें यूरिया और अन्य नशीली चीजें मिलाई जाती है।इस मिश्रण में गड्ढ़े का गंदा पानी डाल उसे जलते चूल्हे पर ड्राम में चढ़ाया जाता है। उससे निकलने वाले भाप को अन्य बर्तन में एकत्र कर ठंडा किया जाता है, फिर तैयार हो जाता है शराब। यह पूरी रात यह प्रक्रिया चलती है और सुबह बने हुए शराब को बिक्री वाले अड्डे पर पहुंचा दिया जाता है।
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