दोनों किडनियां फेल, हर तीसरे दिन डायलिसिस फिर भी परीक्षा देने पहुंची BA की छात्रा
पीसी विज्ञान महाविद्यालय परीक्षा केंद्र पर शुक्रवार को जयप्रकाश महिला महाविद्यालय की स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षार्थी श्रेया डायलिसिस कराके परीक्षा देने के लिए पहुंची। पिछले 3-4 साल से उनकी दोनों किडनी खराब हैं और हर तीन दिन में उन्हें एक बार डायलिसिस कराना पड़ता है। श्रेया के बारे में जैसे ही महाविद्यालय के प्राचार्य को पता चला उन्होंने पहुंचकर छात्रा को सम्मानित किया।
जागरण संवाददाता,छपरा। डर मुझे भी लगा फासला देख कर, पर मैं बढ़ती गयी रास्ता देख कर, खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई, मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर... यह कविता श्रेया सिंह पर सटीक बैठती है। जेपी विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई जयप्रकाश महिला महाविद्यालय की स्नातक द्वितीय खंड की परीक्षार्थी श्रेया की दोनों किडनियां खराब हैं. तीन दिन में एक बार डायलिसिस करना पड़ता है, उसके बाद भी श्रेया ने अपनी पढ़ाई जारी रखी है। डायलिसिस कराने के बाद वो कॉलेज में परीक्षा देने के लिए पहुंची।
डायलिसिस कराकर परीक्षा देने पहुंची छात्रा
शुक्रवार को पीसी विज्ञान महाविद्यालय परीक्षा केंद्र पर छात्रा डायलिसिस कराकर परीक्षा देने के लिए पहुंची । शहर के जोगनिया कोठी निवासी कुमार गौरव की पत्नी की पिछले तीन-चार साल से दोनों किडनी फेल है। वह डायलिसिस पर चल रही है इसी दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई बंद नहीं की।हर तीसरे दिन उनका डायलिसिस होता है। शुक्रवार को भी वो अंग्रेजी ऑनर्स की परीक्षा देने से पहले डायलिसिस कराकर केंद्र पर पहुंची थी। परीक्षा के दौरान उन्हें थोड़ा परेशान देखकर जब वीक्षको ने उनसे परेशानी की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि आज डायलिसिस कराकर परीक्षा देने आई हूं, इसलिए थोड़ी परेशानी हो रही है।
प्राचार्य ने की हौसले की तारीफ
जानकारी मिलने पर पीसी विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य सह केंद्राध्यक्षक डॉ. शंभू कुमार छात्रा के हौसले की तारीफ करते हुए स्नातक द्वितीय खंड के प्रथम पाली की परीक्षा समाप्त होने के बाद छात्रा श्रेया सिंह से मिलने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पुष्पगुच्छ देकर छात्रा का स्वागत किया।श्रेया के हौसले को देखकर सभी प्राध्यापक और स्वयं परीक्षार्थी गण भी बहुत हतप्रभ हो गए। जिसकी दोनों किडनी खराब होने के बाद भी सुबह में वह डायलिसिस करवाकर कॉलेज में परीक्षा देने के लिए आई। इसके साथ ही वो सामान्य परीक्षार्थियों की तरह बैठकर परीक्षा दे रहे थी।
गुलदस्ता भेंट किया
प्राचार्य डॉ. शंभू कुमार ने श्रेया के आत्मविश्वास और धैर्य बल की भूरि- भूरि प्रशंसा की। छात्रा को फूलों का गुलदस्ता भेंट किया। उन्होंने कहा की ये उदाहरण उन लोगों के लिए है जो जीवन के संघर्ष में हार मान चुके हैं और जिनको अपना भविष्य अंधकारमय दिखता है। छोटी सी बीमारी होने पर लोग परीक्षा छोड़ दे रहे हैं।ही नहीं आजकल परीक्षा में सफलता न मिलने पर आत्महत्या जैसे संगीन कदम उठाने वाले छात्रों के लिए श्रेया सिंह प्रेरणा हैं। श्रेया ने बताया कि वह महाविद्यालय में प्रतिदिन क्लास करने जाती थी। वह उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती है। स्नातक के बाद वह स्नातकोत्तर एवं पीएचडी करके असिस्टेंट प्रोफेसर बनना चाहती है। इसके लिए वह अभी से ही तैयारी कर रही हैं।
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