Bihar Election 2024: बिहार की इस सीट पर कोई निर्दलीय उम्मीदवार नहीं, कांग्रेस-आरजेडी खूब लगा रही जोर
Bihar News सारण और सिवान जिले के समिश्रण वाले महाराजगंज संसदीय सीट के चुनावी समर में कोई निर्दलीय योद्धा नहीं है। इसबार यहां केवल पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें तीन राष्ट्रीय पार्टी और दो क्षेत्रीय दल के उम्मीदवार हैं। महाराजगंज संसदीय सीट के चुनावी इतिहास में 1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव से पिछले 2019 के चुनाव तक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरते रहे हैं।
जागरण संवाददाता, छपरा। Lok Sabha Election 2024: सारण और सिवान जिले के समिश्रण वाले महाराजगंज संसदीय सीट के चुनावी समर में कोई निर्दलीय योद्धा नहीं है। इसबार यहां केवल पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें तीन राष्ट्रीय पार्टी और दो क्षेत्रीय दल के उम्मीदवार हैं। इस सीट पर कांग्रेस और आरजेडी बहुत अधिक जोर लगा रही है।
इनमें भारतीय जनता पार्टी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, इंडियन नेशनल कांग्रेस के आकाश कुमार सिंह, बहुजन समाज पार्टी के मधुसूदन सिंह, आल इंडिया मजलिस-ए इत्तेहादुल मुस्लिम के अखिलेश्वर प्रसाद सिंह और पीपुल्स आफ इंडिया डेमोक्रेटिक के त्रिभुवन राम शामिल हैं।
पांचवें संसदीय चुनाव से हर बार निर्दलीय प्रत्याशी ठोकते रहे ताल
Bihar News: महाराजगंज संसदीय सीट के चुनावी इतिहास में 1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव से पिछले 2019 के चुनाव तक निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरते रहे हैं। यह पहला चुनाव है, जिसमें कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं है। यही नहीं इतने कम संख्या में उम्मीदवार भी महाराजगंज संसदीय सीट पर कभी नहीं रहे हैं। इस संसदीय सीट के गठन के बाद प्रारंभ के तीन चुनाव 1957, 1962 और 1967 को यदि छोड़ दें तो 1971 से अबतक के चुनाव में यह पहला मौका है कि इतने कम उम्मीदवार हैं और कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं है। यहां 1971 के चुनाव में छह उम्मीदवार थे, जिनमें तीन निर्दलीय थे।जेपी आंदोलन वाले 1977 के चुनाव में प्रत्याशी पांच थे और निर्दलीय दो थे। 1980 में नौ प्रत्याशी थे और निर्दलीय की संख्या चार थी। 1984 के चुनाव में 10 प्रत्याशी थे, जिनमें निर्दलीय सात थे। 1984 के चुनाव में यहां 10 उम्मीदवार थे और निर्दलीय की संख्या सात थी। 1989 के चुनाव में कुल प्रत्याशी 14 थे, जिनमें निर्दलीय 10 थे। 1991 के चुनाव में यहां 18 प्रत्याशी थे और इनमें निर्दलीय 11 थे।
1996 में यहां प्रत्याशी 18 थे और निर्दलीय की संख्या 13 थी। 1998 और 1999 के चुनाव में भी निर्दलीय सहित उम्मीदवारों की संख्या पांच से अधिक थी। इसी तरह 2004 के चुनाव में 11 प्रत्याशियों में छह निर्दलीय और 2009 के चुनाव में 13 प्रत्याशियों में सात निर्दलीय थे। 2014 के चुनाव में यहां कुल प्रत्याशी 10 थे, जिनमें चार निर्दलीय थे। पिछले 2019 के चुनाव में यहां प्रत्याशियों की संख्या 11 थी। इन प्रत्याशियों में चार निर्दलीय थे।
संसदीय सफर तय करने वाले दो सांसदों की शुरुआत निर्दलीय
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से संसदीय सफर तय करने वाले दो सांसदों की सियासी शुरुआत निर्दलीय विधायक से हुई। इनमें यहां के वर्तमान सांसद और इस चुनाव के भाजपा प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल भी हैं। ये इस संसदीय क्षेत्र के जलालपुर विधानसभा सीट से साल 2000 में पहली बार विधायक बने। वे इस विधानसभा क्षेत्र से 2005 का दोनों चुनाव भाजपा के सिम्बल पर जीते। जलालपुर विधानसभा सीट विघटित हो गया तो वे 2010 में छपरा के भाजपा विधायक निर्वाचित हुए।
इसके बाद महाराजगंज संसदीय सीट से भाजपा के सिम्बल पर 2014 और 2019 में सांसद चुने गये। महाराजगंज के चार बार सांसद रहे प्रभुनाथ सिंह भी पहली बार 1985 में विघटित मशरक विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद 1990 में जनता दल के मशरक से विधायक चुने गये। फिर 1998 में समता पार्टी के सिम्बल पर महाराजगंज के सांसद बने।1999 और 2004 में वे यहां से जदयू के व 2013 में राजद के सांसद निर्वाचित हुये। इस संसदीय सीट के बनियापुर और एकमा से पांच बार विधायक रहे मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल भी पहली बार साल 2000 में बनियापुर से निर्दलीय विधायक बने थे। 2005 के फरवरी का चुनाव लोजपा और अक्टूबर का चुनाव जदयू के टिकट पर जीते। 2010 और 2015 में एकमा सीट से जदयू के विधायक बने। वे 2014 में महाराजगंज का संसदीय चुनाव 2014 में जाये के सिम्बल पर लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
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