बिहार की वो हॉट सीट, जहां RJD हर बार बदल देता है अपना उम्मीदवार, हर बार उतरता है लालू परिवार का कैंडिडेट, फिर भी...
संसदीय चुनाव का चार दंगल हो चुका अब पांचवें की बारी है। इस पांचवें रण में एक सारण संसदीय सीट भी है। इसका गठन 2008 में गठित भारतीय परिसीमन आयोग की सिफारिश के आधार पर हुआ। इसके पूर्व यह छपरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र था। नये परिसीमन में इस संसदीय सीट का केवल नाम ही नहीं बदला भूगोल भी बदल गया। अगर कुछ नहीं बदला तो भाजपा प्रत्याशी का चेहरा।
जागरण संवाददाता, छपरा। सारण लोकसभा सीट का गठन 2008 में गठित भारतीय परिसीमन आयोग की सिफारिश पर हुआ था। इसके पूर्व यह छपरा लोकसभा क्षेत्र था। नये परिसीमन में इस संसदीय सीट का केवल नाम ही नहीं बदला भूगोल भी बदल गया। अगर कुछ नहीं बदला तो वह यहां के भाजपा प्रत्याशी का चेहरा।
1996 से अबतक के आठ चुनावों में यहां के चुनावी अखाड़े में भाजपा के सिम्बल पर राजीव प्रताप रुडी ही ताल ठोकते रहे हैं।
हर चुनाव में उनका सीधा मुकाबला राजद उम्मीदवार से ही होता रहा है। पर, नये परिसीमन के बाद हर चुनाव में राजद प्रत्याशी का चेहरा बदल गया, लेकिन वह चेहरा लालू प्रसाद या उनके स्वजन का ही रहा।
ऐसा रहा है सारण सीट का सियासी इतिहास
सारण संसदीय सीट के गठन के बाद तीन चुनाव हो चुके हैं और यह चौथा रण है। पिछले तीन चुनावों में एक बार राजद और दो बार भाजपा ने अपना विजय पताका फहराया है।
पहला चुनाव 2009 में हुआ, जिसमें राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रुडी को 51,815 वोटों के अंतर से पराजित किया था।
इसके बाद 2014 के चुनाव में सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी यहां राजद की प्रत्याशी बनी। उन्हें भाजपाई राजीव प्रताप रुडी ने 40,944 मतों के अंतर से शिकस्त दी।पिछले 2019 के चुनाव में लालू प्रसाद के समधी और सारण के कद्दावर नेता चंद्रिका राय राजद का सिम्मबल लेकर यहां के चुनावी मैदान में उतरे। भाजपा के प्रत्याशी रुडी ही थे, जिन्होंने राजद उम्मीदवार को 1,38,411 वोटों के अंतर से हराया।
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