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दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर दौड़कर पहुंची बिहार की बेटी सबीता, पहले भी बना चुकी हैं ये रिकॉर्ड

बिहार की बेटी सबीता पहले भी कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी है। परंतु दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क पर दौड़कर पहुंचने का उनका ये कारनामा नया है। सबीता के परिवार में मां और दो भाई हैं। सबीता इस उपलब्धि का श्रेय कई लोगों को देती हैं। हालांकि वह कहती हैं कि इस सब के बाद भी मेरा एक सपना अभी अधूरा है।

By Arun Kumar TiwariEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sat, 09 Sep 2023 06:25 PM (IST)
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दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर दौड़कर पहुंची बिहार की बेटी सबीता, पहले भी बना चुकी हैं ये रिकॉर्ड
अरुण कुमार तिवारी, पानापुर (सारण)। फौलादी इरादों की बदौलत साइकिलिस्ट सबीता महतो ने एक बार फिर से एक साहसिक व बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। जम्मू काश्मीर के लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मोटर चलाने योग्य सड़क उमलिंग ला पर दौड़ लगाते हुए 18 दिनों में पहुंचने वाली सबीता पहली लड़की बन गई हैं।

मूल रूप से सारण जिले के पानापुर गांव की रहने वाली सबीता अद्म्य साहस की प्रतिमूर्ति हैं। साहस व जुनून के बदौलत पिछले एक दशक से वे लगातार नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।

फिलहाल पांच सितम्बर को धरती से 19024 फीट उंचाई वाली सड़क पर बिना रुके बिना थके दौड़ते हुए पहुंचकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इससे पानापुर प्रखंड सहित पूरा बिहार अपनी इस बेटी की सफलता से गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

छोटे से गांव से निकलकर बड़ा काम कर रही सबीता

सबीता पानापुर गांव के रहने वाले स्वर्गीय रमुना महतो की पौत्री एवं चौहान महतो की पुत्री हैं। वर्तमान में यह पूरा परिवार बंगाल में रहता है, लेकिन गांव से जुड़ाव भी कम नहीं है।

यहां भी अक्सर आना-जाना रहता है। गांव के लोग बताते हैं कि शुरू के दिनों रमुना महतो बंगाल जाकर जूट मिल में काम करते थे। बाद में उनका पुत्र चौहान महतो ने वहां जाकर मछली बेचने का काम शुरू किया।

बाल-बच्चों को पढ़ाने के उद्देश्य से पूरे परिवार को बाद में वहीं बुला लिया। सबीता की पढ़ाई-लिखाई भी वहीं से हुई। उसके दो भाई हैं।

माता कांति देवी महतो गृहिणी हैं। सबीता बताती हैं कि पूरे परिवार और गांव समाज का उन्हें भरपूर सहयोग मिलता है।

सबीता कहती हैं कि खासकर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वार पाठक जो अब इस दुनिया में नहीं रहे, ये सभी हमारी ऊर्जा के स्रोत रहे हैं। इन्हीं की बदौलत लगातार सफलता की सीढ़ियों को पार करती जा रही हूं।

एवरेस्ट फतह करने का सपना नहीं हो रहा पूरा

तमाम प्रयासों के बावजूद सबीता का महत्वपूर्ण सपना अधूरा चल रहा है। उनका सपना है कि वे दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट पर जाएं, लेकिन लाख प्रयास के बाद भी सरकारी मदद नहीं मिलने के कारण वे इस सपने को पूरा नहीं कर पा रही हैं। उनका चयन भी हो गया है, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वे नहीं जा पा रही हैं।

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सबीता ने कई चुनौती पूर्ण मुकाम हसिल किए

साइकिलिस्ट, पर्वतारोही व अल्ट्रा धावक सबीता के नाम कई बड़े रिकॉर्ड जुड़े हुए हैं। वर्ष 2017 में 173 दिनों में साइकिल से 29 राज्यों का भ्रमण करने वाली पहली महिला का खिताब अपने नाम कर लिया था।

2016 से 2019 तक 7000 मीटर से ऊंचे कई पहाड़ों पर चढ़ाई की। गत वर्ष उन्होंने उमलिंगा पर साइकिल से चढ़ाई की थी।

भारत के पश्चिमी मोर्चे से ढाका तक 5900 किमी के करीब साइकिल से यात्रा की। इसके अलावे छोटी बड़ी अनेकों उपलब्धियां हैं, जो सबीता के नाम हैं।

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