Saran Lok Sabha Seat: आसान नहीं सारण से दिल्ली की डगर, मतदान के बाद भी टेंशन में रोहिणी और रूडी?
छपरा जंक्शन पर मंगलवार की दोपहर कुछ ज्यादा ही भीड़ रही। सारण संसदीय क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों के लोग यहां मौजूद दिखे। ट्रेनों की प्रतीक्षा और फुर्सत के इस पल में मतदान का ट्रेंड चर्चा का विषय बना हुआ रहा। सभी का यही कहना था है कि जाति समुदाय और तबके का एकमुश्त वोट एक जगह नहीं गिरा है। दोनों खेमों के जातीय वोटों में एक-दूसरे की सेंधमारी हुई है।
जागरण संवाददाता, छपरा। Saran Lok Sabha Seat सारण संसदीय क्षेत्र में मतदान के दूसरे दिन मंगलवार को भाजपा और राजद प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य के मंगल और अमंगल की चर्चा होती रही। वैसे तो यहां के चुनावी दंगल में 14 प्रत्याशी थे, मगर सीधा मुकाबला इन्हीं दो के बीच रहा।
जिला मुख्यालय शहर छपरा से लेकर संसदीय क्षेत्र के गांवों तक यही कहा जा रहा था कि इन दोनों सियासी खलिफों के लिए सारण से दिल्ली तक की डगर इतनी आसान नहीं। इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए जा रहे थे। एक तो बूथों पर पिछले चुनाव की अपेक्षा कम पोलिंग और दूसरी दोनों खेमों के आधार वोटों का दरकना।
आधार वोटों पर भरोसा और उसमें सेंधमारी की चिंता
छपरा शहर की हृदय स्थली कही जाने वाली नगरपालिका चौराहा। यहां मंगलवार की तड़के एनडीए और इंडी गठबंधन के दर्जन भर से अधिक नेता-कार्यकर्ता चाय की दुकान पर मौजूद थे। चर्चा गुजरे मतदान और जीत-हार पर हो रही थी। आज सभी साफगोई से बोल रहे थे। वैसे तो अपने-अपने आधार वोटों पर भरोसा दिख रहा था। हालांकि, उनमें से अधिकतर ऐसे थे, जिसमें अपने जातीय समीकरण वाले वोटों में सेंधमारी की चिंता सता रही थी।इनकी यह चिंता यूं ही नहीं थी, बल्कि मतदान की छनकर सामने आ रही खबरों के आधार पर थी। यह सभी स्वीकार कर रहे थे कि दोनों खेमों की जातीय गोलबंदी दरकी है, लेकिन कहां-कहां और कितनी दरकी है इसका खुलासा तो चार जून को ईवीएम खुलने के बाद ही हो पाएगा।यहां ये चर्चाएं चल ही रही है कि शहर के भिखारी चौक पर गोलीबारी की खबर आती है और सभी लोग इसकी पुष्टि के लिए अपने मोबाइल पर व्यस्त हो जाते हैं।
हर तबके के वोट में बंटवारा ला सकता है अप्रत्याशित रिजल्ट
अधिकतर वक्त व्यस्त रहने वाले छपरा जंक्शन पर मंगलवार की दोपहर कुछ ज्यादा ही भीड़ रही। सारण संसदीय क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों के लोग यहां मौजूद दिखे। ट्रेनों की प्रतीक्षा और फुर्सत के इस पल में मतदान का ट्रेंड चर्चा का विषय बना हुआ रहा। सभी का यही कहना था है कि जाति, समुदाय और तबके का एकमुश्त वोट एक जगह नहीं गिरा है। सबमें बंटवारा हुआ है और दोनों खेमों के जातीय और आधार वोटों में एक-दूसरे की सेंधमारी हुई है।
इनकी चर्चाओं पर यकीन करें तो इसमें संदेह नहीं कि सारण संसदीय क्षेत्र का चुनाव परिणाम कोई भी करवट ले सकता है और यह अप्रत्याशित भी हो सकता है।
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