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दिवाली और छठ में पटाखा बेचने के लिए दुकानदारों को लेना होगा अस्थाई लाइसेंस, जान लीजिए क्या है नियम

दिवाली और छठ के दौरान सारण जिले में पटाखा बेचने के लिए अस्थाई लाइसेंस लेना अनिवार्य है। इस लेख में हम आपको अस्थाई लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया नियमों और सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचा जा सकता है।

By Amritesh Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 08 Oct 2024 03:59 PM (IST)
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पटाखा बेचने के लिए दुकानदारों को लेना होगा अस्थाई लाइसेंस (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, छपरा। प्रकाश पर्व दीपावली व छठ पर्व में पटाखा बेचने के लिए सारण जिले में पटाखा दुकानदारों को अस्थाई लाइसेंस लेना होगा। यह अस्थाई लाइसेंस सिर्फ तत्कालिक व्यवसाय करने के लिए दिया जाता है। सारण जिले के छपरा, मढौरा एवं सोनपुर अनुमंडल क्षेत्रों में अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा लाइसेंस जारी किया जाता है।

अस्थाई लाइसेंस के लिए आवेदकों को आवेदन के साथ पांच सौ रुपये का चालान जमा करना होता है। अंचलाधिकारी के भौतिक सत्यापन के बाद लाइसेंस जारी किया जाएगा। वहीं, सारण जिले में सिर्फ छपरा शहर में पटाखा के दो अस्थाई दुकानदार हैं, लेकिन उसके बाद भी जिले में सैकड़ों की संख्या में पटाखा की दुकानें सजी हुई हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी अमन समीर ने निर्देश जारी किया है।

अस्थाई लाइसेंस पर 100 किलोग्राम के ऊपर के बेच सकते हैं पटाखे

अस्थाई लाइसेंस मिलने के बाद पटाखा कारोबारी 100 किलोग्राम से उपर पटाखे बेच सकते हैं। इसमें फुलझड़ी, आतिशबाजी, स्पार्कल, बम आदि शामिल हैं। अधिकांश पटाखे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अधिक धुआं होने से प्रदूषण से अस्थमा पीड़ित को अटैक हो सकता है, छोटे बच्चों के सुनने की क्षमता प्रभावित होती है । अनुमंडल क्षेत्र में पटाखा का लाइसेंस जारी किया जाएगा।

दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए आवाज:

अस्थाई पटाखा बेचने के नियमों के मुताबिक शोर का मानक शहरी क्षेत्र में सुबह छह से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 से सुबह छह बजे तक 45 डेसिबल रहना चाहिए। इससे ज्यादा ध्वनि या शोर कुछ समय बाद मानव को बेचैन करते हैं। 95 डेसिबल की आवाज कान को प्रभावित करती है और 110 डेसिबल से ज्यादा आवाज हो, तो कान का पर्दा फटने का डर रहता है। लेकिन बाजार में बिकने वाले अधिकतर पटाखे की ध्वनि क्षमता 120 डेसिबल या उससे ज्यादा होती है।

पटाखा का लाइसेंस जारी करने का क्या है नियम?

भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम 1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय सात में आतिशबाजी की स्थायी व अस्थायी दुकानों के लिए नियम हैं। होलसेल लाइसेंसधारक इनका पालन करने के लिए बाध्य हैं। भले ही उन्होंने स्थायी या अस्थायी लाइसेंस लिया है।

नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थायी दुकान कंक्रीट से बनी हुई हो। आकार नौ वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होनी चाहिए। दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या चिंगारी पैदा करने वाला सामान नहीं होना चाहिए। जगह ऐसी हो, जहां अग्निशमन वाहन तत्काल पहुंच सके।

अस्थायी अनुज्ञप्ति निम्न शर्तों पर दिया जाएगा

  • पटाखा रखने का स्थान अज्वलनशील पदार्थ से बना हो जहां अनाधिकृत व्यक्ति का पहुंच नहीं हों।
  • पटाखा रखने का स्थान (धारण स्थल) एवं विक्रय स्थल कम से कम एक दूसरे से 03 मीटर की दूरी तथा संरक्षित कार्य से 50 मीटर की दूरी पर हो।
  • विक्रय स्थल एवं संरक्षित स्थल आमने-सामने न हो।
  • तेल से जलता हुआ लैम्प, गैस लैम्प अथवा खुली रोशनी पटाखा स्थल से सुरक्षा के दृष्टिकोण से शेड से दूर हो।
  • पाटाखा स्थल में यदि बिजली की रौशनी का प्रयोग होता है, तो भवन के दीवाल या छत में फिक्स किया हो।
  • झुलता हुआ बिजली का तार कदापि प्रयोग में नही लाना है।
  • प्रत्येक दुकान के लिए स्वीच अलग-अलग दीवाल पर फिक्स रहेगा और उसका मास्टर स्वीच कतारबद्ध रहेगा।
  • पटाखा का प्रदर्शनी स्थल शेड से 50 मीटर के अन्दर नहीं रहेगा।
  • एक कलस्टर में 50 दुकानों से अधिक की अनुमति नहीं दी जायेगी।
  • दीपावली / छठ में एक अस्थायी अनुज्ञप्ति के लिए विहित शीर्ष में 500/- (पांच सौ) रुपये का चालान जमा करना होगा।
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