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Saran News: सारण जिला परिषद में मचा बवाल, 32 पार्षद अचानक गए सैर पर; अध्यक्ष की कुर्सी पड़ी खतरे में

Saran News सारण जिला परिषद की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। जिला परिषद अध्यक्ष जयमित्रा देवी के खिलाफ 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर सियासी पारा चढ़ा दिया है। अब इनकी कुर्सी पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है क्योंकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन के बाद 47 जिला पार्षदों में से 32 जिला सैर पर चले गए हैं।

By Amritesh Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 02 Jun 2024 04:28 PM (IST)
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सारण जिला परिषद में सियासी घमासान (जागरण)
जागरण संवाददाता, छपरा। Saran News: सारण जिला परिषद की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। जिला परिषद अध्यक्ष जयमित्रा देवी के खिलाफ 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर सियासी पारा चढ़ा दिया है। अब इनकी कुर्सी पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन के बाद 47 जिला पार्षदों में से 32 जिला सैर पर चले गए हैं।

इनसे मोबाइल पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। सूत्र बताते है कि 32 पार्षद स्नेहा सिंह के खेमे में है जबकि जयमित्रा देवी के खेमे में वर्तमान में 15 ही पार्षद है। यह सब एका-एक होने से जयमित्रा देवी के खेमे को संभलने का मौका ही नहीं मिला।

 उच्च न्यायालय के जजमेंट से बढा सियासी तापमान 

बताया जाता है कि पटना उच्च न्यायालय में अपील संख्या 125 वर्ष 2024 व सिविल रिट अधिकारिता मामला संख्या 1726 वर्ष 2024 समेत अन्य मामलों की एक साथ सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन ने अविश्वास प्रस्ताव पर जजमेंट देते हुए कहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के दिन जितने लोग उपस्थित होंगे, वे वोट देंगे। उसमें बहुमत देखा जाएगा। इस दौरान कुल संख्या नहीं देखा जाएगा।

इसके बाद जिला परिषद की राजनीति फिर से गर्म हो गई। वर्तमान अध्यक्ष इस पर कोई एक्शन लेती कि विपक्षी खेमे ने 32 पार्षदों को छपरा से बाहर घूमने के लिए भेज दिया। इसके बाद पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष प्रियंका सिंह के नेतृत्व में अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन दिया।

 15 जनवरी को कोरम के अभाव में गिर गया था अविश्वास प्रस्ताव 

उल्लेखनीय हो कि 15 जनवरी 24 को सारण जिला परिषद की अध्यक्ष जयमित्रा देवी के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव कोरम के अभाव में गिर गया था। चार जनवरी को 17 जिला पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन 15 जनवरी को बुलाई गई विशेष बैठक में अध्यक्ष समेत मात्र छह पार्षद ही उपस्थित हो सके। उससे अविश्वास प्रस्ताव पर न बहस हुई और न ही वोटिंग कराया गया।

इस विशेष बैठक की अध्यक्षता इसुआपुर से जिला पार्षद छविनाथ सिंह ने की थी। उसमें बैठक के लिए 25 जिला पार्षद होना अनिवार्य बताते हुए 25 में से सिर्फ पांच सदस्य के उपस्थित होने पर जिला परिषद अध्यक्ष पर लगा अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया था। इस तरह से जयमित्रा देवी अगले तीन सालों तक जिला परिषद अध्यक्ष की अध्यक्ष बन गई।

 इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में दायर किया गया था वाद 

अविश्वास प्रस्ताव में नियम का पालन नहीं करने की शिकायत करते हुए कुछ जिला पार्षदों ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया था। अविश्वास प्रस्ताव में नियम का पालन नहीं करने की याचिका बिहार के अनेक जिलों से भी दायर हुई थी। इस पर पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन के एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव के दिन सदन में जितने सदस्य उपस्थित होंगे, उन्हीं के बीच वोटिंग के द्वारा बहुमत साबित करना है। इसमें निर्वाचित सदस्यों की संख्या नहीं देखनी है।

 राजनीति के दिग्गजों की भी हुई जिप की राजनीति में इंट्री\B

पटना उच्च न्यायालय का जजमेंट आने के बाद सारण जिला परिषद की राजनीति में हलचल तब और बढ़ गई जब इसमें जिले के दिग्गज राजनीतिज्ञों की भी इंट्री हो गई। जिला परिषद के राजनीति को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि लंबे समय के बाद जिला परिषद की राजनीति में पर्दे के पीछे से राजनीति के दिग्गज दिशा -निर्देश दे रहे हैं। वे स्नेहा सिंह के खेमे से बैटिंग कर रहे हैं, तो जिप अध्यक्ष जयमित्रा देवी की तरफ से एक राजनीति के दिग्गज बैकअप करने में लगे हुए हैं। जिप अध्यक्ष की राजनीति में राजनीतिक दिग्गजों की इंट्री के बाद मामला दिलचस्प हो गया है। चार जून के बाद जिप राजनीति का पारा और चढ़ेगा।

 जिला परिषद अध्यक्ष की लड़ाई में पार्षदों की बल्ले-बल्ले 

जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जंग छिड़ चुकी है। दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं। पक्ष व विपक्ष में गुटबाजी चरम सीमा पर है। 47 जिला पार्षदों में लगभग 32 पार्षद एक खेमे के साथ भूमिगत हो गए हैं। वहीं बचे हुए 15 पार्षद दूसरे खेमे में है। दोनों पक्षों की ओर से अब भी पार्षर्दो पर डोरे डाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है पार्षदों को दोनों तरफ से आफर मिल रहा है। इसमें पार्षदों की बल्ले बल्ले हैं। पार्षदों के स्वजन से संपर्क कर दोनों पक्ष एक दूसरे को मनाने में जुटा है।

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