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Bakra Eid 2024: बकरीद में मुसलमान क्यों देते हैं कुर्बानी? जानिए क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी

कुर्बानी और त्याग के प्रतीक त्योहार बकरीद को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है। नमाज के लिए मस्जिदों और ईदगाहों में विशेष व्यवस्था की गई है। बकरा बाजार में तो कई दिनों से रौनक है। ईत्र सेवई कपड़ों के बाजार में भी रविवार को खूब चहल-पहल रही। बकरा बाजार रविवार की देर शाम तक गुलजार रहा। बकरों की कीमत भी खूब तेज रही।

By Amritesh Kumar Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 16 Jun 2024 03:27 PM (IST)
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रविवार की देर शाम तक गुलजार रहा बकरा बाजार। (सांकेतिक फोटो)
जागरण संवाददाता, छपरा। बकरा बाजार रविवार की देर शाम तक गुलजार रहा। बकरों की कीमत भी खूब तेज रही। उत्तर प्रदेश के बलिया से लाया गया शेरा नाम का बकरा 70 हजार रुपये में बिका। करीम चक व गुदरी बाजार में बकरा खरीदने के लिए भीड़ उमड़ी थी। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में बकरे बिक रहे थे।

वैसे कई घरों में एक वर्ष, छह माह से ही बकरे को पूरे प्यार से पाला गया है। बकरीद के दिन सोमवार को इनकी कुर्बानी दी जाएगी। बकरीद की नमाज ईदगाह समेत सभी बड़ी मस्जिदों में अदा की जाएगी। इसके बाद कुर्बानी का सिलसिला शुरू होगा।

मुस्लिम समाज के लोग कुर्बानी के बाद अपने रिश्तेदारों एवं गरीबों के बीच सेवई व बकरे के मांस को तकसीम करेंगे। ईद की तरह बकरीद का त्यौहार भी बहुत अहम है। इस्लामी साल का आखरी महीना(जिलहिज्जा) में मुसलमान पूरी अकीदत के साथ बकरीद मनाते है।

सेवइयों, खाद्य सामग्री और कपड़े की दुकानों पर थी भीड़

इसके अलावा बाजारों में सेवइयां सहित विभिन्न खाद्य सामग्रियों की खरीद होने से गहमागहमी रही। कपड़े, जूते-चप्पल, साज-सज्जा व सेवईं की दुकानों पर भी काफी भीड़ देखी गई।

वहीं, कपड़े की दुकानों पर लोगों को कुर्ता-पजामा, शलवार सूट, जिंस, टी-शर्ट आदि की खरीदारी करते देखा गया।

त्योहार को लेकर मांग बढ़ने से सामानों की कीमतों में अन्य दिनों की तुलना में उछाल दिखा। फिर भी लोग खरीदारी करने में जुटे रहे. देर शाम तक बाजार गुलजार रहा।

बकरीद में मुसलमान क्यों देते हैं कुर्बानी?

इस्लामिक जानकार तारिक अनवर ने बताया कि इस्लाम धर्म के प्रमुख पैगंबरों में एक हजरत इब्राहिम से कुर्बानी देने की यह परंपरा शुरू हुई। हजरत इब्राहिम अलैह को औलाद नहीं थी।

अल्लाह से काफी मिन्नतों के बाद उन्हें बेटा हुआ। उसका नाम इस्माइल रखा गया। इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल से बहुत प्यार करते थे। कहते हैं कि एक रात अल्लाह ने उनके ख्वाब में आकर उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी।

इब्राहिम को पूरी दुनिया में अपना बेटा ही प्यारा था। ऐसे में वे अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक शैतान मिला और उसने उन्हें ऐसा करने से मना किया।

शैतान ने पूछा कि वह भला अपने बेटे की कुर्बानी देने क्यों जा रहे हैं? इसे सुन इब्राहिम का मन भी डगमगा गया लेकिन आखिरकार उन्हें अल्लाह की बात याद आई और कुर्बानी के लिए चल पड़े।

इब्राहिम ने बेटे की कुर्बानी देने के समय अपने आंखों पर पट्टी बांध ली, ताकि उन्हें दुख न हो। कुर्बानी के बाद जैसे ही उन्होंने अपनी पट्टी खोली, अपने बेटे को उन्होंने सही-सलामत सामने खड़ा पाया।

दरअसल, अल्लाह ने चमत्कार किया था। वह इब्राहिम के धैर्य और अल्लाह पर भरोसे की परीक्षा ले रहे थे। कुर्बानी वाले जगह पर दुंबे (भेड़) पड़ा था। तब से ही किसी जानवर की कुर्बानी दी जाने लगी।

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