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Bihar Jamin Survey: भूमि सर्वे में जमीन मालिकों को हो रही थी परेशानी, इस जिले के डीएम ने निकाला गजब का उपाय

Bihar Land Survey शिवहर जिले में जमीन मालिकों को भूमि सर्वे से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन जिलाधिकारी विवेक रंजन मैत्रेय ने इसके लिए एक उपाय निकाला है। उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर भूमि विवाद के मामलों का निष्पादन करने का निर्देश दिया और थाना स्तर पर कैंप आयोजित करने के लिए कहा। इससे जमीन मालिकों की परेशानी दूर होने की उम्मीद है।

By Neeraj Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Thu, 24 Oct 2024 03:13 PM (IST)
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बिहार जमीन सर्वे में शिवहर के डीएम ने निकाला गजब का उपाय (जागरण)
जागरण संवाददाता, शिवहर। Bihar Bhumi Survey: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर जमीन मालिकों को आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन शिवहर के डीएम ने जमीन मालिकों की परेशानी दूर कर दी है।  उन्होंने इसके लिए एक उपाय निकाला जिससे की जमीन मालिकों की परेशानी दूर हो जाए।

प्राथमिकता के आधार पर भूमि विवाद के मामलों का निष्पादन

शिवहर के जिलाधिकारी विवेक रंजन मैत्रेय ने प्राथमिकता के आधार पर भूमि विवाद के मामलों के निष्पादन का निर्देश दिया। साथ ही मामलों के निष्पादन के लिए पदाधिकारियों को नियमित रूप से सुनवाई का निर्देश दिया।

समाहरणालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में आयोजित बैठक में जिलाधिकारी ने जन शिकायत, भूमि विवाद व अभियोजन से संबंधित मामलों की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने प्रत्येक शनिवार को थाना स्तर पर कैंप का आयोजन कर अधिक से अधिक भूमि विवाद के मामले के निष्पादन कराने के निर्देश दिए।

एसडीओ व एसडीपीओ को मिला निर्देश

साथ ही एसडीओ व एसडीपीओ को भूमि विवादों के त्वरित एवं गुणवत्तापूर्वक निष्पादन का निर्देश दिया। साथ ही एसडीओ व एसडीपीओ को नियमित रूप से अनुश्रवण करने का निर्देश दिया। बैठक में जिलाधिकारी ने जिला स्तर पर आयोजित जनता दरबार में प्राप्त आवेदनों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश संबंधित पदाधिकारियों को दिया।

सभी अंचलाधिकारियों व्यवहार न्यायलय,शिवहर में लंबित कांडों से संबंधित जानकारी प्राप्त करते हुए उपस्थित जिला अभियोजन पदाधिकारी एवं अपर लोक अभियोजक के माध्यम से अधिक से अधिक मामलों के निष्पादन हेतु निर्देशित किया गया। बैठक में एडीएम अनिल कुमार, एएसपी प्रेमचंद्र सिंह व एसडीपीओ अनिल कुमार सहित संबंधित पदाधिकारी मौजूद रहे।

आसान भाषा में कैथी लिपि के बारे में जानें

कैथी लिपि में खतियान होने से इसे पढ़ पाना कठिन हो रहा है। ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि कैथी को कायथी या कायस्थी भी कहा जाता है। इसका उपयोग 600 साल पूर्व से शुरू होने का अनुमान है। देश में मुस्लिम शासकों के काल में कायस्थ समुदाय के लोग कैथी में ही जमीन से जुड़े दस्तावेज लिखते थे।

इनके अलावा, मुस्लिम उर्दू-फारसी में लिखते थे। इस तरह अंग्रेज शासनकाल से लेकर आजादी के बाद भी जमीनी दस्तावेज लेखन कैथी में चलता रहा। कैथी लिपि में अक्षरों के ऊपर शिरोरेखा नहीं होती है। इसमें सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं। इसमें हर्स्व ''इ'' और दीर्घ ''ऊ'' की मात्रा भी नहीं लगाई जाती। इसमें संयुक्त अक्षर जैसे– ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं, शब्द या वाक्य भी नहीं बनाया जाता है, इसीलिए आज इसे पढ़ने में कठिनाई आती है।

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