शिवहर के अंबाकला की लीची का विदेशों में भी जलवा, दुबई ही नहीं इन देशों में भी है भारी डिमांड
बिहार के शिवहर जिले की लीची की मिठास अब विदेशी लोगों की जुबान पर भी घुल रही है। शिवहर की अंबाकला लीची की दुबई कतर और मलेशिया समेत कई देशों में डिमांड बढ़ी है। अंबाकला में शाही लीची की खेती कर सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। दिल्ली के कारोबारी इन किसानों की लीची को दुबई कतर और मलेशिया तक पहुंचा रहे हैं।
नीरज कुमार, शिवहर। शिवहर की लीची की मिठास अब दुबई, कतर और मलेशिया के लोगों की जुबान पर भी घुल रही है। अंबाकला में चार किसान 10 एकड़ में शाही लीची की खेती कर सालाना चार लाख तक का मुनाफा कमा रहे हैं।
पिपराही प्रखंड के अंबाकला के किसान कपूरचंद साह ने तीन दशक पहले जिले में लीची की खेती की शुरुआत की थी। उनके पुत्र किसान रामदयाल साह जिले के सबसे बड़े लीची किसान हैं।
रामदयाल साह से प्रेरित होकर करीब एक दर्जन किसानों ने लीची की खेती शुरू की है। यहां की लीची का रंग और स्वाद इतना लाजवाब है कि पंजाब, चंडीगढ़ व दिल्ली के व्यापारी शिवहर पहुंचकर लीची की खरीदारी कर रहे हैं।
दिल्ली के कारोबारी इसे दुबई, कतर और मलेशिया तक पहुंचा रहे हैं। इन दिनों बड़े-बड़े व्यापारी अंबाकला पहुंचकर आर्डर के मुताबिक लीची पैक कर ले जा रहे हैं। अंबाकला में जिले के सबसे बड़े बागान में 400 पेड़ हैं।
सबसे पहले राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री तक भेजी जाती थी लीची
इस गांव की लीची पहले राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक को भेजी जाती थी, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह परंपरा खत्म हो गई। हैरत की बात यह कि इस गांव के किसान लीची की खेती तो कर रहे हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा हैं।
लीची से मिल रहा रोजगार
दुबई, कतर व मलेशिया में बढ़ी डिमांड
कभी 50 बगानों में होती थी लीची की खेती
लीची के लिए बेहद अनुकूल शिवहर जिला
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