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शिवहर के अंबाकला की लीची का विदेशों में भी जलवा, दुबई ही नहीं इन देशों में भी है भारी डिमांड

बिहार के शिवहर जिले की लीची की मिठास अब विदेशी लोगों की जुबान पर भी घुल रही है। शिवहर की अंबाकला लीची की दुबई कतर और मलेशिया समेत कई देशों में डिमांड बढ़ी है। अंबाकला में शाही लीची की खेती कर सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। दिल्ली के कारोबारी इन किसानों की लीची को दुबई कतर और मलेशिया तक पहुंचा रहे हैं।

By Neeraj Kumar Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 31 May 2024 05:28 PM (IST)
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शिवहर के अंबाकला की लीची का विदेशों में भी जलवा।

नीरज कुमार, शिवहर। शिवहर की लीची की मिठास अब दुबई, कतर और मलेशिया के लोगों की जुबान पर भी घुल रही है। अंबाकला में चार किसान 10 एकड़ में शाही लीची की खेती कर सालाना चार लाख तक का मुनाफा कमा रहे हैं।

पिपराही प्रखंड के अंबाकला के किसान कपूरचंद साह ने तीन दशक पहले जिले में लीची की खेती की शुरुआत की थी। उनके पुत्र किसान रामदयाल साह जिले के सबसे बड़े लीची किसान हैं।

रामदयाल साह से प्रेरित होकर करीब एक दर्जन किसानों ने लीची की खेती शुरू की है। यहां की लीची का रंग और स्वाद इतना लाजवाब है कि पंजाब, चंडीगढ़ व दिल्ली के व्यापारी शिवहर पहुंचकर लीची की खरीदारी कर रहे हैं।

दिल्ली के कारोबारी इसे दुबई, कतर और मलेशिया तक पहुंचा रहे हैं। इन दिनों बड़े-बड़े व्यापारी अंबाकला पहुंचकर आर्डर के मुताबिक लीची पैक कर ले जा रहे हैं। अंबाकला में जिले के सबसे बड़े बागान में 400 पेड़ हैं।

सबसे पहले राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री तक भेजी जाती थी लीची

इस गांव की लीची पहले राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक को भेजी जाती थी, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह परंपरा खत्म हो गई। हैरत की बात यह कि इस गांव के किसान लीची की खेती तो कर रहे हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा हैं।

लीची से मिल रहा रोजगार

जिले में लीची की खेती कम मात्रा में ही होती है, लेकिन यह किसानों की आर्थिक समृद्धि का आधार बन रही है। अंबाकला के अलावा पिपराही प्रखंड के धनकौल, पुरनहिया व तरियानी के कुछ इलाकों में भी अब खेती हो रही है।  लीची के सीजन में एक माह तक 100 से अधिक लोगों को रोजगार भी मिल जाता है।

50 महिलाएं इन दिनों लीची की तुड़ाई और पैकिंग का काम करने में जुटी हैं। यहां चार सौ लीची के पेड़ से इस बार आठ लाख का उत्पादन हुआ है। अधिकांश लीची मुजफ्फरपुर के कारोबारी के जरिये बेचा गया है।

दुबई, कतर व मलेशिया में बढ़ी डिमांड

किसानों ने दुबई, कतर व मलेशिया के बाजार में लीची भेजने के लिए मुजफ्फरपुर के कारोबारी उमाशंकर सिंह से पांच साल के लिए लीची बेचने का करार किया है।

इसके तहत प्रत्येक साल आठ लाख रुपये किसानों को मिलेंगे। अंबाकला में लीची के अनुकूल है जलवायु किसान राम दयाल साह बताते हैं कि उनके पिता कपूरचंद साह ने तीन दशक पहले खेती शुरू की थी।

देश के अलग-अलग इलाकों की नर्सरी से शाही लीची के पेड़ लाकर लगाए थे। स्वाद व मिठास से भरपूर शाही लीची को इलाके के लोग कपूर शाही लीची के नाम से जानते हैं।

कभी 50 बगानों में होती थी लीची की खेती

उन्होंने बताया कि 50 साल पहले इस इलाके में लीची की बड़े पैमाने पर खेती होती थी। 50 से अधिक बगान थे, लेकिन बाढ़, मौसम की मार और सरकारी सहयोग के अभाव में अब गिनती के बगान रह गए हैं, जिसमें अंबाकला का लीची बगान भी शामिल है।

लीची के लिए बेहद अनुकूल शिवहर जिला

शिवहर का इलाका लीची के अनुकूल है। लीची उत्पादक किसान रामदुलार साह, राम स्वार्थ साह व राम बालक साह कहते हैं कि उन्होंने अपने दम पर लीची की खेती की है।

एक दशक से कोई प्रशासनिक सहयोग व प्रशिक्षण नहीं मिला। विपरित मौसम में भी बेतर उत्पादन किया। सरकार अगर सहयोग करे तो निश्चित रूप से लीची के जरिए किसानों की जिंदगी में लाली आएगी।

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