प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं दस महाविद्या मंदिर की माताएं
Bihar Tourism उत्तर बिहार में शिवहर जिले में पहला ऐसा मंदिर है जहां माता शक्ति के 10 रूपों की अलग-अलग मूर्तियां स्थापित की गई हैं। यहां वर्ष 1854 में राजा शिवराज नंदन सिंह बहादुर मालिक ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। नवरात्र के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। यह स्थान पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
नीरज, शिवहर। शिव और हरि की मिलन स्थली शिवहर। यहां कण-कण में आस्था व भक्ति विद्यमान है। इस धरा पर 108 शिवालय हैं तो 54 देवालय, 122 राम जानकी और 80 हनुमान मंदिर हैं। आस्था के इस केंद्र में एक स्थल 10 महाविद्या देवी मंदिर भी है, जहां 10 स्वरूपों में माता विराजमान हैं।
इस मंदिर में मां दुर्गा के अलावा काली, तारा, छिन्नमस्तिका, बगलामुखी, मां षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, मातंगी और मां धूमावती की 1200 साल पुरानी प्रतिमाएं हैं। उत्तर बिहार का यह इकलौता देवी मंदिर है।
जहां एक साथ माता की 10 प्रतिमाएं स्थापित हैं। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी व पश्चिम चंपारण, गोपालगंज के अलावा उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों तथा नेपाल से श्रद्धालु माता के दर्शन व पूजन को आते हैं।
शिवहर जिला मुख्यालय से 800 मीटर की दूरी पर शहर के बीच स्थापित इस मंदिर का निर्माण शिवहर के राजा शिवराज नंदन सिंह बहादुर मालिक ने वर्ष 1854 में कराया था।राजा इन प्रतिमाओं को कोलकाता, विंध्याचल व दिल्ली सहित देश के अलग-अलग सिद्धस्थलों के मंदिरों से लेकर आए थे।
उस समय ये प्रतिमाएं एक हजार साल से अधिक पुरानी थीं। यहां स्थापित मां काली की प्रतिमा बेतिया राज दरबार मंदिर में स्थापित प्रतिमा से काफी मिलती-जुलती है। यह मंदिर सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है।यहां माता की सभी प्रतिमाएं तांत्रिक विधि से स्थापित की गई हैं। वर्ष 1921 1922 में भूकंप के दौरान मंदिर ध्वस्त हो गया था। राज दरबार द्वारा 99 साल पूर्व इसका जीर्णोद्धार कराया गया था।
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