ठाकुर नबाव सिंह... कचहरी पर फहराया तिरंगा, तब हुआ एलान- जिंदा या मुर्दा लाने वाले को मिलेगा 10 हजार का इनाम
गोरा बाबू के नाम से चर्चित स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर नवाब सिंह ने अपनी वीरता से अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी थी। तब शिवहर मुजफ्फरपुर के सीतामढ़ी अनुमंडल के अधीन था। 9 अगस्त 1942 को करीब एक लाख लोगों के साथ उन्होंने सीतामढ़ी कचहरी पर तिरंगा फहराया था। इससे गुस्साए अंग्रेजों ने नवाब सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 10 हजार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी।
By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 10 Aug 2023 04:34 PM (IST)
नीरज, शिवहर : आजादी की लड़ाई में शिवहर जिले के लोग भी जान की बाजी लगाने में पीछे नहीं रहे। इनमें सबसे अहम नाम महुअरिया गांव निवासी ठाकुर नवाब सिंह का है। अंग्रेजों ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने वाले को इनाम देने का एलान किया था, लेकिन अंग्रेजों को उनकी चिता की राख तक नसीब नहीं हुई।
गोरा बाबू के नाम से चर्चित ठाकुर नवाब सिंह ने अपनी वीरता से अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी थी। तब यह इलाका मुजफ्फरपुर के सीतामढ़ी अनुमंडल के अधीन था।
9 अगस्त, 1942 को करीब एक लाख लोगों के साथ ठाकुर नवाब सिंह ने सीतामढ़ी कचहरी पर तिरंगा फहराया था। इससे गुस्साए अंग्रेजों ने नवाब सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 10 हजार रुपये इनाम की घोषणा कर दी थी।
अंग्रेजों ने पुश्तैनी मकान को कर दिया था राख
महुअरिया स्थित नवाब सिंह के पुश्तैनी मकान व शिवहर गोला को अंग्रेजों ने जला दिया। तत्कालीन कमिश्नर टेन ब्रुक ने नवाब सिंह की गिरफ्तारी के लिए सिपाहियों की टीम गठित की, लेकिन वह भूमिगत हो गए। 4 दिसंबर, 1942 को पूर्वी चंपारण के खोरी पाकड़ गांव के पास उनकी मृत्यु हो गई।ठाकुर नवाब सिंह ने अपनी मौत से पहले अपने साथियों से कहा था कि उनके शव को तत्काल जला दिया जाए ताकि अंग्रेज उन्हें छू न सके। नवाब सिंह की मौत के बाद उनके साथियों ने हुक्म का पालन किया और तत्काल प्रभाव से लालबकेया नदी के संगम पर उनका दाह संस्कार कर दिया था।
महात्मा गांधी के करीबी रहे
स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर नवाब सिंह की वीरता के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर है। उनके नाम पर शहर में नवाब हाईस्कूल की स्थापना की गई। यहां स्थापित उनकी प्रतिमा लोगों को प्रेरित करती है।
बताया जाता है कि नवाब सिंह महात्मा गांधी और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के करीबी रहे। नवाब सिंह ही महात्मा गांधी को पहली बार शिवहर लेकर आए थे।
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