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Chhath Puja 2024: आस्था ने तोड़ी धर्म की दीवार, मुस्लिम महिलाएं करेंगी सूर्य नमस्कार; दर्द भरी है इनकी कहानी

बिहार के शिवहर जिले के तरियानी छपरा में मुस्लिम महिलाएं धर्म की दीवारों को तोड़कर सूर्य नमस्कार करेंगी। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद यहां की मुस्लिम महिलाएं कहती हैं कि धर्म के आधार पर लोग नहीं बंटे क्योंकि सबका मालिक एक है। आस्था की इस अनोखी कहानी में जानिए कैसे मुस्लिम समुदाय के लोग छठ व्रत रखते हैं और अपने विश्वास को मजबूत करते हैं।

By Neeraj Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 04 Nov 2024 02:13 PM (IST)
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आस्था ने तोड़ी धर्म की दीवार, मुस्लिम महिलाएं करेंगी सूर्य नमस्कार
अनिल कुमार, तरियानी/शिवहर। Chhath Puja 2024 35 साल पहले शिवहर के तरियानी छपरा निवासी मो. जमालुद्दीन बीमार पड़ गए थे। बीमारी ऐसी कि जमीन तक बिक गई। रोम-रोम कर्जदार हो गया। किसी के कहने पर उन्होंने छठ व्रत का संकल्प लिया। हालांकि, व्रत की राह आसान नहीं थी। समाज में रोध-अवरोध के बीच व्रत रखा और बागमती नदी में भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। जमालुद्दीन को दवा लगने लगी और सेहत सुधरने लगी।

इससे उनकी आस्था बढ़ी। वे लगातार छठ करने लगीं। इसके बाद विभिन्न बीमारी से ग्रस्त उनके गांव की सबीना खातून, रुखसाना खातून मो. शाहिद व लाडो खातून सहित दर्जनभर मुस्लिम समुदाय के लोग छठ व्रत के लिए घर लौटे हैं। दर्जनभर महिला व पुरुषों ने छठ महापर्व करना शुरू किया।

वर्तमान में मुस्लिम समाज के दर्जनभर लोग विधि-विधान से महापर्व कर रहे हैं। नहाय-खाय से लेकर खरना तक और अर्घ्य भी दे रहे हैं। उनके घरों में छठ के गीत बज रहे हैं।

'सबका मालिक एक है'

अभावग्रस्तता के बीच जी रही इसी गांव की रुखसाना खातून के लिए जिंदगी की सफर की राह आसान नहीं थी। सरकार की ओर से चावल-गेहूं मिल जाता था, लेकिन इसके बाद बीमारी, पढ़ाई और अन्य मद में होने वाली खर्च के लिए कोई रास्ता नहीं था। वह भी छठ व्रत रखने लगीं और छठ ने उसकी राह की बाधाएं खत्म कर दी।

40 परिवारों की इस बस्ती में दर्जनभर लोग साल दर साल आस्था का अर्घ्य देते हैं। सूर्योपासना करते हैं। इस बार भी उनकी तैयारी जारी है। बेहद गरीब परिवार से आने वाले इन परिवारों ने आस्था की दीवार तोड़ समाज को नई सीख दी है। लाडो खातून बताती हैं कि छठ व्रत से जुड़ी आस्था अपरंपार है। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद कहती हैं कि धर्म के आधार पर लोग नहीं बंटे, क्योंकि सबका मालिक एक है।

बाढ़ की पीड़ा पर आस्था भारी:

29 सितंबर को इलाके में आई बाढ़ के चलते सबसे ज्यादा लोग तरियानी छपरा के ही प्रभावित हुए हैं। मो. जमालुद्दीन व सबीना खातून सहित सैकड़ों लोग 32 दिन व 32 रात तटबंध पर गुजार छठ व्रत करने के लिए घर लौटे हैं। घर भी ध्वस्त हो गया है। घरों में अब भी पानी बरकरार है।

सरकार द्वारा मिलने वाली सात हजार की राशि भी नहीं मिल सकी है। लिहाजा इन गरीब परिवारों के इन लोगों के लिए बार छठ महापर्व की राह आसान नहीं रह गई है। बावजूद इसके बाढ़ की पीड़ा पर आस्था भारी है और यहां के लोग छठ की तैयारी में है।

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