स्वतंत्रता के सारथी: भ्रष्टाचार पर प्रहार का माध्यम बनी RTI, प्रशासन को भी कर रही एक्टिव; कई समस्याओं से मिली मुक्ति
आरटीआई के माध्यम से विकास कार्यों को तेजी मिल रही है। शिवहर के मुकुंद प्रसाद मिश्रा पिछले 10 सालों में पांच हजार से अधिक आरटीआई लगा चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने प्रेरित कर सौ से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता भी खड़े कर दिए हैं। उनके आरटीआई का बड़े पैमाने पर असर भी देखने को मिला है। बापूधाम-शिवहर-सीतामढ़ी रेललाइन को स्वीकृति मिलने में आरटीआई की बड़ी भूमिका रही।
नीरज, शिवहर। खरीदी गई खेती की जमीन का दाखिल-खारिज अंचल कार्यालय बिना कारण रिजेक्ट कर देता था। ऐसा लगातार तीन बार हुआ।
दो वर्ष अंचल कार्यालय के चक्कर काटने के बाद परेशान अरविंद कुमार ने वर्ष 2022 में बिहार के शिवहर जिले के सूचना का अधिकार कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्रा के सहयोग से आरटीआई लगाकर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया व रिजेक्ट के कारणों की जानकारी मांगी।सूचना देने के साथ उनका दाखिल-खारिज भी हो गया। इसके बाद से वे आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
मुकुंद प्रकाश ने जिले में बीते 10 वर्षों में ऐसे सौ से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता खड़े कर दिए हैं, जो अब भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रहे हैं। शासन-प्रशासन जब बात नहीं सुनता तो सूचना के अधिकार को हथियार बना आवाज उठाते हैं।शिवहर शहर के मिश्रा टोला निवासी बीटेक की शिक्षा हासिल किए मुकुंद ने अन्ना हजारे के आंदोलन से प्रभावित होकर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जनहित के मुद्दों को उठाना शुरू किया था। इसके बाद वे आरटीआई के तहत लड़ाई लड़ने लगे।
बीते 10 वर्षों में पांच हजार से अधिक आवेदन लगाकर उन्होंने शासन-प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है। 100 से अधिक आवेदन तो उन्होंने विभिन्न सड़कों से संबंधित ही लगाए हैं। इसी का परिणाम है कि जिले में दो दर्जन से अधिक ठेकेदारों पर कार्रवाई हुई है।शिवहर-सीतामढ़ी रेललाइन को लेकर मुकुंद के लगाए आरटीआई आवेदन सबसे अधिक चर्चा में रहे। इस मुद्दे पर छह वर्ष में 100 से अधिक आवेदन लगाए जाने के कारण स्थानीय सांसद ने मामला लोकसभा में उठाया। इसके बाद इस वर्ष इस पर काम शुरू हुआ।
शिवहर-सीतामढ़ी रेल परियोजना का काम शुरू होने के बाद लगा बोर्ड। जागरणदरअसल, वर्ष 2006-07 में 78.92 किमी लंबी इस रेललाइन को स्वीकृति मिली थी। सर्वे के बाद कुछ नहीं हुआ। इसे लेकर उन्होंने आरटीआई लगाई तो रेलवे ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। एक जवाब में कहा कि परियोजना की स्वीकृति नहीं मिली है। फिर कहा कि योजना बंद कर दी गई है।
एक जवाब में बताया गया कि रेलवे बोर्ड ने मंजूरी नहीं दी है। फिर कहा गया कि यह घाटे की परियोजना है। यह भी कहा गया कि बिहार सरकार भूमि उपलब्ध नहीं करा रही है। इसके बाद इसे लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की।इसमें हाईकोर्ट ने रेलवे और बिहार सरकार को तलब भी किया। इसके बाद तत्कालीन सांसद रमा देवी ने वर्ष 2023 में संसद में इस मामले को उठाया तो शिवहर-सीतामढ़ी रेललाइन का काम शुरू हुआ।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।