दोस्ती की अनूठी मिसाल: 50 किलोमीटर दूर दूसरे जिले के गांव में जाकर होली खेलता है पूरा गांव
लखीसराय जिले के शोभानपुर गांव के लोग परंपरा के तहत हर साल होली पर 50 किलोमीटर की दूरी तय कर शेखपुरा जिले के मंदना गांव में आते हैं और यहां सबके साथ होली खेलते हैं। रात में रुककर भजन-कीर्तन करते हैं।
By Arun SathiEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Mon, 06 Mar 2023 11:59 AM (IST)
अरुण साथी, शेखपुरा: दोस्ती और भाईचारे की अनूठी मिसाल देखनी है तो लखीसराय जिले के शोभानपुर गांव आइए। यहां के लोग हर साल होली पर 50 किलोमीटर की दूरी तय कर शेखपुरा जिले के मंदना गांव में आते हैं और यहां सबके साथ होली खेलते हैं। यहां गांव के 10-20 लोग नहीं, बल्कि 500 से अधिक लोग होली खेलने मंदना गांव आते हैं। रात भर रुकते हैं। भजन कीर्तन होता है। होलिका दहन के बाद परंपरागत होली खेलते हैं। फिर गांव के लोग रंग गुलाल लगाकर सभी को विदाई देते हैं।
यूं तो होली पर हजारों किलोमीटर दूर से लोग अपने गांव और घर आते हैं और रंगोत्सव का त्योहार मनाते हैं, लेकिन यहां 50 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाकर होली खेलने की परंपरा है।
परंपरा के पीछे है यह मान्यता
यह परंपरा कब से है इसके बारे में किसी को पक्की जानकारी नहीं है, लेकिन ग्रामीणों के बीच यह मान्यता है कि बहुत साल पहले इस गांव के एक व्यक्ति गंगा स्नान करने के लिए जा रहे थे, तभी शोभानपुर के यात्री रास्ते में साथ हो लिए। दोनों में मित्रता हो गई। दोनों जब गंगा में स्नान करने लगे उसी दौरान बजरंगबली की एक मूर्ति दोनों को मिली। फिर दोनों दोस्तों में यह सहमति बनी की मूर्ति को मंदना गांव में जाकर स्थापित करना है। हम लोगों वहीं आकर पूजा करेंगे। तब से यह परंपरा बनी हुई है।होली के अवसर पर लखीसराय जिले के बड़हिया प्रखंड के शोभानपुर गांव के ग्रामीण अपनी व्यवस्था से इस गांव में आते हैं और यहीं होली खेलते हैं। इसकी जानकारी देते हुए ग्रामीण सुशील कुमार सिन्हा, दीपक सिन्हा, पप्पू लाल, पशुपतिनाथ नाथ सिन्हा, कौशल पांडेय, रविन्द्र पांडेय, राजेन्द्र पांडेय, प्रभात कुमार,अरुण यादव, राजेश यादव, मोलन पाण्डेय, सुरेश पांडेय बताते हैं कि सभी के लिए रहने की व्यवस्था उन लोगों के द्वारा किया जाता है।
होली पर गांव में नहीं पकता मांस
फिर सभी लोग साथ मिलकर होली गायन करते हैं। फिर होलिका दहन होता है। अगले दिन बजरंगबली के मंदिर में मिट्टी चढ़ाने के बाद होली की शुरुआत होती है। मिट्टी होली के बाद फिर रंग चढ़ाकर रंग की होली खेली जाती है। दोनों गांव के लोग संयुक्त रूप से होली खेलते हैं। यह भी बताया कि होली के अवसर पर तीन—चार दिन तक मांस नहीं बनाया जाता है।माउर में बजरंगबली पूजा के होता खेली जाती है
शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत माउर गांव रामनवमी से पहले बजरंगबली का ध्वज पूजन होता है। बजरंगबली को गुलाल चढ़ाया जाता है। वही गुलाल गांव में सभी लोग अपने घर लेकर जाते हैं। उसे पूजा घर में चढ़ाते हैं। उसके बाद गांव में होली खेलने की परंपरा शुरू होती है। माउर गांव निवासी शांति भूषण बताते हैं कि दशकों पुरानी यह परंपरा है। इस परंपरा में गांव के सभी लोगों की भागीदारी होती है।
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