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बिहार की मशहूर 'अनारकली' का निधन, दहेज में मिली थी हथिनी; शेखपुरा में सबकी थी दुलारी

दो क्रेनों की मदद से हथिनी अनारकली को ट्रक पर लादकर मेहूस गांव लाया गया। हथिनी की शव यात्रा ढोल-बाजे के साथ निकाली गई। हथिनी इलाके में काफी मशहूर थी। लोग उसे शुभ कार्यों के लिए ले जाते थे।

By Jagran NewsEdited By: Akshay PandeyUpdated: Mon, 07 Nov 2022 06:39 PM (IST)
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हथिनी की मौत के बाद जुटे लोग।
जागरण संवाददाता, शेखपुरा : शेखपुरा में अनारकली के नाम से मशहूर हथिनी की सोमवार की सुबह मौत हो गई। 50 साल की अनारकली के निधन के बाद दो क्रेनों की मदद से उसे ट्रक पर लादकर मेहूस गांव लाया गया। सदर प्रखंड के मेहूस गांव से हथिनी की शव यात्रा ढोल-बाजे के साथ निकाली गई। हथिनी की शव यात्रा में उसे 44 वर्ष अपने साथ रखने वाले किसान सूर्यमणि सिंह और उनके परिवार के साथ उसकी सेवा करने वाले मो. फहिम तथा मेहूस के साथ आस-पास के कई गांवों के सैकड़ों लोग शामिल हुए। समूचे क्षेत्र में मात्र मेहूस गांव में ही हथिनी थी। विशेष अवसरों लोग 'अनारकली' को ले जाते थे। 

ससुराल से उपहार में मिली थी

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता पाटो सिंह ने बताया 1978 में सूर्यमणि सिंह की शादी लखीसराय जिला के दरियापुर में हुई थी। विवाह में सूर्यमणि सिंह की हथिनी ससुराल से उपहार में मिली थी। तब से सूर्यमणि सिंह परिवार के सदस्य के तरह हथिनी को अपने पास रखकर उसकी देखभाल कर रहे थे।

कुछ दिन पहले खराब हुई थी तबीयत

कुछ दिन पहले इस हथिनी की तबीयत खराब हो गई थी। तब सूर्यमणि सिंह ने इसे पेलवान गांव के मो. फहिम को अपने घर पर रखकर सेवा करने को कहा और उसका खर्चा स्वयं सूर्यमणि वहन कर रहे थे। सोमवार की सुबह पेलवान के गांव मिल्की चक में हथिनी की मौत हो गई। हथिनी की मौत के बाद दो क्रेनों की मदद से उसे ट्रक पर लादकर मेहूस गांव लाया गया। ढोल-बाजे के साथ विधिवत शव यात्रा निकालकर उसे खेत में दफनाया गया। अनारकली नाम की यह हथिनी समूचे क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थी। इसे देखने दूर-दराज के लोग शौक से मेहूस गांव आते थे। 

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