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Independence Day 2024: स्वतंत्रता दिवस पर खास, 1947 में अंग्रेजों की छाती पर चढ़कर स्कूली छात्रों ने लहराया था तिरंगा

Independence Day Special Story 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने से पहले ही शेखपुरा (Sheikhpura News) के स्कूली विद्यार्थीयों ने यहां के सरकारी भवनों पर रष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहरा दिया था। हालांकि इसके प्रतिशोध में अंग्रेजी हुकूमत ने यहां जमकर पुलिसिया तांडव किया जिसमें कई विद्यार्थियों को जेल जाना पड़ा और प्रताड़ना झेलनी पड़ी।

By arbind kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 14 Aug 2024 04:09 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

अरविंद कुमार, शेखपुरा। इतिहास के पुराने जानकार प्रो लालमणि विक्रांत बताते हैं शेखपुरा में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आंदोलन को हवा देने में शेखपुरा के वर्तमान डीएम हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। यहां के छात्रों ने अंग्रेजों को नाकों-दम कर दिया था।

तब शेखपुरा में सरकारी कार्यालय के नाम पर सिर्फ कोतवाली (पुलिस थाना) और निबंधन कार्यालय (रजिस्ट्री कचहरी) हुआ करता था। दोनों कार्यालय आज के कटरा बाजार के पास था।

आजादी से पहले ही यहां के विद्यार्थियों ने सरकारी भवनों पर तिरंगा फहरा दिया था। स्कूल के विद्यार्थी स्वयं से हस्त लिखित समाचार पत्र (आजाद हिंदुस्तान) निकालते थे। रात्रि में छात्रावास में लालटेन की रोशनी में आलेख तैयार करके फिर रात्रि ने ही इसे घर-घर जाकर वितरण करते थे, ताकि अंग्रेज कोतवाल को इसका पता नहीं चले।

हस्त लिखित आजाद हिंदुस्तान पर्चे ने इस क्षेत्र में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोगों को एकजुट करने और आजादी का अलख जलाने में बड़ा काम किया था।

1921 में सुलगी थी चिंगारी

शेखपुरा के आसपास ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ शुरुआती चिंगारी 1921 में सुलगी थी,जो 1930 के नमक सत्याग्रह में आग बनकर सामने आई।

सदर प्रखंड के हसौरी गांव में सबसे पहले 1921 में कुछ ग्रामीण युवकों सौकत अली,मो अली,सैयद हसन,डॉ रहमान और प्रो यूसुफ ने गांव के युवकों के साथ बैठक करके ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोगों को एक करने का प्रयास किया था।

इसके बाद आस-पास के गांवों में भी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत की हवा बननी शुरू हो गई। 1930 के नमक सत्याग्रह में शेखपुरा कटरा चौक के दुखी लाल,जियनबीघा के रामेश्वर महतो, हुसैनाबाद के नारायण महतो,सोहदी के चुनकेश्वर यादव,तरछा के बेचू राम ,मेहुस के सिद्धेश्वर शर्मा जैसे प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया था। यह आंदोलन आसपास के गांवों में फैल गया।

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