दरभंगा-अयोध्या वंदे भारत का ट्रायल 24 को, श्रीराम मंदिर के उद्घाटन से पूर्व माता सीता के मायके से ससुराल तक चलेगी ट्रेन
अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन से पूर्व दरभंगा-अयोध्या रेलवे स्टेशन के बीच वंदे भारत ट्रेन की ट्रायल 24 को होने जा रहा है। खरमास यानी 14 जनवरी के बाद से ट्रेन के नियमित परिचालन की संभावना जताई जा रही है। इस ट्रेन की रफ्तार वैसे तो 130 किमी प्रति घंटा है वैसे ट्रैक की मजबूती को देखते हुए फिलहाल यह 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी।
सीतामढ़ी, संवाद सूत्र। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के उद्घाटन से पूर्व माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी से अयोध्या के बीच चलने वाली वंदे भारत जन साधारण एक्सप्रेस ट्रेन का ट्रायल होने जा रहा है। 24 दिसंबर को दरभंगा से ट्रायल में यह ट्रेन चलने वाली है। खरमास यानी 14 जनवरी के बाद से ट्रेन के नियमित परिचालन की संभावना जताई जा रही है।
शाम को तीन बजे से शुरू होगा ट्रायल
सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन अधीक्षक सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि ट्रेन ट्रायल से पूर्व तैयारी के निरीक्षण के लिए 22 दिसंबर को हाजीपुर रेल महाप्रबंधक अनिल कुमार खंडेलवाल सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। विशेष सैलून से सवा दस बजे उनका काफिला यहां पहुंचेगा।
ट्रायल शाम के वक्त तीन बजे शुरू होगा। दरभंगा से कमतौल, जनकपुर रोड, सीतामढ़ी, बैरगनिया, घोड़ासहन, रक्सौल, नरकटियागंज वाया सिकटा होते हुए वाल्मीकिनगर कप्तानगंज के रास्ते अयोध्या तक ट्रायल होगा।
यह रेलयात्रा नहीं किसी सौगात से कम
ट्रायल में चलने वाली इस ट्रेन में वरिष्ठ अधिकारीगण एवं सुरक्षा अधिकारी सवार होंगे। इसके साथ ही ट्रेन के मार्ग की निगरानी तीनों जोन के महाप्रबंधकों, डीआरएम और वरिष्ठ परिचालन प्रबंधकों द्वारा की जा जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का उद्घाटन करेंगे।
उसके पूर्व मिथिला से अयोध्या तक सीधी रेलयात्रा की शुरुआत हो किसी सौगात से कम नहीं है, जिस दिन यह ट्रेन नियमित तौर पर चलना शुरू करेगी उस दिन सीतामढ़ी सहित सभी स्टापेज पर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री, सांसद, मेयर, विधायक समेत तमाम गणमान्य मौजूद रहेंगे। इस ट्रेन की तमाम खासियत है।
ट्रेन की अधिकतम स्पीड होगी 110 किमी प्रति घंटा
उसमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पुश-पुल तकनीक से तैयार की गई है। इसका फायदा यह होगा कि पुश-पुल तकनीक में ट्रेन के आगे और पीछे लोकोमोटिव होते हैं। आगे वाला इंजन ट्रेन को खींचता है और पीछे वाले को धक्का देता है। जिससे ट्रेन की रफ्तार तेजी से बढ़ती है।
तकनीकी भाषा में इसे पुश-पुल लोकोमोटिव कहा जाता है। इस ट्रेन की रफ्तार वैसे तो 130 किमी प्रति घंटा है, लेकिन इस रूट पर रेल ट्रैक को भी मजबूत करना होगा मगर वह फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए ट्रेन की गति नहीं ट्रैक की क्षमता के अनुसार स्पीड अधिकतम 110 किमी प्रति घंटे ही हो सकेगी।यह भी पढ़ें: Bihar News: बिहार के लाल चंदन कुमार आतंकवादी हमले में हुए शहीद, एक साल पहले ही हुई थी शादी; पूरे गांव में शोक का माहौल
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