Diwali 2022: सीतामढ़ी की डा.ज्योति मिट्टी से जुड़ी कला संस्कृति को संरक्षित करने व बढ़ाने को प्रयत्नशील
इस दीपावली के मौके पर वे अपनी संस्था में दीये व श्री गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां तैयार करवाती हैं। इससे जहां इस कला को बला मिलता है वहीं कुछ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होते हैं। लड्डू गोपाल के शिख से नख तक के सभी आभूषण यहां मिलते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Ajit kumarUpdated: Wed, 19 Oct 2022 12:54 PM (IST)
सीतामढ़ी, जासं। धार्मिक कला संस्कृति को जीवंत रखने एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार कर रहा है शहर के कोट बाजार स्थित बाल गोपाल। डा. ज्योति सुंदरका बाल गोपाल के नाम से पारंपरिक व धार्मिक कला संस्कृति को विकसित करने में योगदान दे रहीं है। दीपावली के अवसर पर भी श्री गणेश-लक्ष्मी जी की शुद्ध मिट्टी की मूर्तियों, मिट्टी के कलश व मिट्टी के दीप को कुम्हार से आकार दिलाकर गहना व वस्त्रों से सुसज्जित करना, घर में शुभता का प्रतीक आकर्षक बंदनवार व विभिन्न प्रकार की माला हस्तनिर्मित करना, सभी भगवान के हर प्रकार के पोशाक सिलाई करना, लड्डू गोपाल के शिख से नख तक के सभी आभूषण, कपड़े व सजावट के सामान तैयार करने का काम कर रही हैं।
रोजगार को भी मिल रहा बढ़ावा
इसी प्रकार डा. ज्योति सुंदरका वर्ष भर विभिन्न पर्व-त्यौहार के अनुसार हस्तनिर्मित वस्तुओं के माध्यम से वर्ष 2006 से सीतामढ़ी में योगदान दे रही है और रोजगार के अवसर मुहैया करा रही है। डा. ज्योति कला संस्कृति को जीवित रखने के साथ साथ उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करना एवं परिवार की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं। डा. ज्योति सुंदरका का आवास सुशीला सदन, कोट बाजार, खेमका हास्पिटल से बगल में बांध पर जाने वाले रोड में है और चैम्बर, कैट, रेडक्रास आदि संस्थाओं से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार सुंदरका की पत्नी है। कोरोना के बाद इस साल पुनः फिर उसी उत्साह के साथ बाल गोपाल का आयोजन है।
घरेलू सजावट सामग्री
दीपावली के अवसर पर सुशीला सदन में स्थित बाल गोपाल में घरेलू सजावट की सामान के अलावा श्री गणेश महालक्ष्मी की सुसज्जित शुद्ध मिट्टी की मनोहारी मूर्तियां, सभी भगवान के स्वनिर्मित पोशाक, गहने, माला, आसन, बाल गोपाल के वस्त्राभूषण, सिंहासन, मिट्टी के आकर्षक दिये, स्टीकर, डिज़ाइन किए मिट्टी के कलश, बंदनवार, रंगोली व डिज़ाइनदार मोमबतियां समेत अन्य सामान को सजाया गया है। बाल गोपाल में 5 रुपए से दो हजार रुपए तक की सामग्री उपलब्ध हो जाती है। बाल गोपाल की संचालिका डा. ज्योति सुंदरका ने 15 वर्ष पूर्व बाल गोपाल की स्थापना की थी। शुरुआत में लोगों से मिले उत्साह व सहयोग की बदौलत अब निरंतर सेवा दे रही है। इसमें बेटी प्रज्ञा सुंदरका व बेटा पीयूष कुमार सुंदरका का भी प्रोत्साहन रहता है, लेकिन सास स्व. सुशीला देवी सुंदरका की कला के प्रति प्रेम की वजह से ही आगे बढ़ने का रास्ता सुगम हुआ।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।