Bihar Politics: 'सम्राट चौधरी को ही देख लीजिए, इनके पिता शकुनी...'; परिवारवाद की राजनीति पर भड़के प्रशांत किशोर
Prashant Kishor प्रशांत किशोर ने एक बार फिर परिवारवाद की राजनीति पर सवाल खड़े किए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की आबादी 13 करोड़ है। हालांकि साढ़े बारह सौ परिवार के लोग ही सांसद और विधायक बनते हैं। किशोर ने कहा कि बिहार की राजनीति पर कुछ ही परिवारों का कब्जा है।
संवाद सूत्र, बथनाहा (सीतामढ़ी)। Bihar Politics जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में साढ़े बारह सौ परिवार के लोग ही यहां सांसद-विधायक बनते रहे हैं। हर पंचायत, ब्लॉक और विधानसभा में लंबे समय से ऐसा ही होते आ रहा है। कभी नए और कमजोर कार्यकर्ताओं को राजनीतिक दलों ने मौका नहीं दिया।
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को ही देख लीजिए। इनके पिता शकुनी चौधरी पहले कांग्रेस की सत्ता में मंत्री रहे, फिर लालू की सरकार में। इसके बाद नीतीश सरकार में मंत्री और मांझी की सरकार में भी। ये दिखाता है कि बिहार की राजनीति पर कुछ ही परिवारों का कब्जा है।
'बिहार की आबादी 13 करोड़ है'
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की आबादी 13 करोड़ है। इनमें साढ़े तीन करोड़ परिवार के लोग यहां रहते हैं, लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि साढ़े बारह सौ परिवार के लोग ही यहां सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य बनते रहे तथा अन्य लोगों को इसका अवसर ही नहीं दिया जाए।
'नीतीश कुमार किस बात की शेखी बघार रहे हैं?'
पटना में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा चतुर्थ कृषि रोड मैप के लोकार्पण के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस बयान पर उन्होंने पलटवार किया। कहा कि बिहार देश इकलौता राज्य है, जहां पिछले 10 वर्षों में असिंचित भूमि की मात्रा कम हुई है, वो भी 11 प्रतिशत। पहले के नहर ध्वस्त हो गए, नलकूप भी बंद हैं। सिंचाई फिर कैसे हो रही है? नीतीश कुमार फिर किस बात की शेखी बघार रहे हैं?
'अपना पेट काटकर, सत्तू खाकर...'
पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि खेती करने वाले लोगों की हालत बिहार में यह है कि लोग अपना पेट काटकर, सत्तू खाकर पांच वर्ष अगर खेती करते थे, तो उन्हें भरोसा रहता था कि चार-पांच कट्ठा जमीन जरूर खरीद लेंगे। मगर आज नौबत ऐसी आन पड़ी है कि वह जमीन ही गिरवी रखनी या बेचनी पड़ती है।
'कहीं बाढ़ तो कहीं जलजमाव की समस्या बनी हुई है'
प्रशांत किशोर ने कहा कि कोई ऐसा प्रखंड नहीं है, जहां जमीन जलजमाव के कारण खेती बर्बाद नहीं है। खेत आज चौर बनकर रह गए हैं। हजारों एकड़ जमीन में या तो एक फसल हो रही है या वह चौर ही है। कहीं बाढ़ तो कहीं जलजमाव समस्या बनी हुई है। प्रशांत किशोर यहीं नहीं रुके । उन्होंने किसानों को उनकी फसल के दाम नहीं मिलने के पीछे के चार कारण भी गिना डाले।
उनके अनुसार, जमीन और जल प्रबंधन के अभाव में किसान यहां जो फसल पैदा कर रहे हैं उनका उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। एक आर्थिक सर्वेक्षण के हिसाब से बिहार में जो फसल किसान पैदा करते हैं उनका अगर उचित मूल्य मिल जाए, तो हर वर्ष बिहार के किसानों को 20 हजार करोड़ रुपये अलग से मिलने लगेंगे।
किसानों के इस नुकसान का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां टैक्स की व्यवस्था पूरी तरीके से खत्म है, को-आपरेटिव नहीं है, नई व्यवस्था एफपीओ बिहार में लागू नहीं हआ और प्राइवेट सेक्टर का जो कृषि आधारित उद्योग है, वह बिहार में है नहीं। यही चार कारण है कि यहां पर किसानों को उनकी फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे।
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