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बाढ़ से श्रीखंडी भिट्ठा महादलित टोले में तबाही

कई दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिस से नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों से निकलने वाली रातो नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है।

By Edited By: Updated: Thu, 28 Jul 2016 01:11 AM (IST)
बाढ़ से श्रीखंडी भिट्ठा महादलित टोले में तबाही

सीतामढ़ी। कई दिनों से रूक-रूक कर हो रही बारिस से नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों से निकलने वाली रातो नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है। गुरुवार को दूसरे दिन भी श्रीखंडी भिट्ठा पूर्वी पंचायत के वार्ड 5 महादलित टोला से पानी नहीं निकला। जिससे लगभग 300 लोगों के घर में पानी का तेज बहाव जारी है। यदुपट्टी बाजार से मानेश्वर नाथ उच्च विद्यालय व दिवारी गांव जाने वाली सड़कों पर 2 से ढ़ाई फिट पानी का तेज बहाव जारी है। आज भी को प्रशासनिक पदाधिकारी इन बाढ़ पीड़ितों का हाल लेने यहां नहीं पहुंचे। इस वार्ड के अधिकांश लोग सड़क पर शरण लिए हुए हैं। खाना बनाने के लिए जलावन की व्यवस्था नहीं है। किसी तरह चूड़ा व सत्तू खरीद कर दो दिन से पेट की आग बुझा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी मवेशी के लिए चारा का हो रहा है। ग्रामीणों के अनुसार दूसरे गांव से चारा का व्यवस्था कर किसी तरह मवेशी को खिला रहे हैं। मवेशी को भी अपने साथ सड़क पर रखें हैं। रातो नदी के बाढ़ से कोरियाही पूर्वी क्षेत्र, दिवारी मतौना, हनुमान नगर, छोटा मेघपुर, बड़ा मेघपुर, भगवतीपुर आदि इलाके के सरेह में बाढ़ का पानी फैल गया है। महादलित टोला के बाढ़ पीड़ित मवेशी के साथ रातो पुल पर शरण लिए हुए है।

कहते हैं अधिकारी :अंचल अधिकारी सुधांशु शेखर ने बताया है कि बाढ़ की सूचना जिला प्रशासन को दी गई है। लेकिन रिलिफ फंड से सहायता दी जाती है। बाढ़ से निपटने के लिए सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। दो मोटरवोट व 7 नाव की व्यवस्था की गइ्र है। अंचल 9 उच्चे स्थानों का चयन किया गया है। नेपाल से निकलने वाली रातों नदी का पानी टिकता नहीं है। एक दो दिन में महादलित वस्ती से पानी निकल जाएगा। वैसे जिला अधिकारी आदेशानुसार प्रभावित लोगों को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

लोगों ने बांटा अपना दर्द :महादलित टोला निवासी पलट मुखिया ने बताया कि जब-जब चुनाव आता है, तो प्रत्यासी बांध निर्माण का भरोसा दिलाकर वोट लेकर जाने के बाद पलट कर नहीं आते है। प्रति वर्ष इस वार्ड के लोग बाढ़ से तबाह होते हैं। कहा कि जलावन के अभाव में खाना बनाने में परेशानी होती हैं। महेन्द्र ठाकुर ने कहा कि जब-जब बाढ़ आती है, तो न पाल से बहकर आई जहरीली सांप टट्टी व घर में घुस जाता है, जिससे जिन्दगी मौत के बीच जूझते रहते हैं। बचे खुचे सामान व बर्तन को घर में छोड़कर सड़क पर शरण लेते हैं। जहाँ-तहां से मवेशी के लिए चारा की व्यवस्था करने को बेबस हैं। यहां पंचायत स्तर से लेकर सरकारी तंत्र तक कोई देखने वाला नहीं है। नारायण मुखिया बताते हैं कि मलिवारा के नेपाल बॉर्डर तक नेपाली क्षेत्र में रातो नदी के दोनों तरफ तटबंध बांध दिया गया है। भारतीय क्षेत्र में पश्चिम साईड से तटबंध नहीं बांधने के कारण बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश करता रहता है। छोटे-छोटे बच्चों को लेकर मवेशियों के साथ सड़क पर शरण लेना पड़ता है। छोटे कान्त झा बताते है कि हमलोग खेती पर निर्भर है, बाढ़ आ जाने से खाना, बच्चों की पढ़ाई व मवेशियों के चारा में भारी कठिनाई हो रही है। एक भी प्रशासनिक व्यक्ति पूछने वाला नहीं है। बड़हनिया देवी बताती है कि बाढ़ के पानी घुस गेला से हमर सबके घर में रखल जलावन, मवेशी के भूसा, बर्तन, अनाज, कपड़ा सब दह गेल। देखे वला कोई न हई। कर-कुटूम से सहयोग लेके हमसब भोजन करई छी। मातवर मुखिया बताते हैं कि इस साल तीन बार बाढ़ आ गेल। लेकिन सरकार के तरफ से कोई सहायता न मिलल। बाढ़ आवे से मुहल्ला के आंगनबाड़ी केन्द्र, सरकारी स्कूल सब बंद हो गेल ह। खेत में लागल साग-सब्जी नष्ट हो गेल।