बिहार में बनेगी माता सीता की सबसे ऊंची प्रतिमा, अशोक वाटिका से लाई जाएगी जल-मिट्टी, शक्तिपीठ बनाने की योजना
इस शक्तिपीठ की स्थापना के लिए उन सभी जगहों की जल-मिट्टी लाकर निर्माण स्थल की भूमि से मिलाई जाएगी जहां-जहां माता सीता के कदम पड़े हैं। इनमें 51 शक्तिपीठ सहित बाली इंडोनेशिया श्रीलंका (अशोक वाटिका) जैसी कई अन्य जगहें भी शामिल हैं।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। रामायण रिसर्च काउंसिल (Ramayana Research Council) माता सीता (Mata Sita) की जन्मस्थली बिहार (Bihar) के पौराणिक तीर्थ सीतामढ़ी में सीता माता की सबसे ऊंची प्रतिमा (Tallest Statue) स्थापित करने जा रही है। 12 एकड़ भूमि पर स्थापित की जाने वाली अष्टधातु की माता सीता की इस प्रतिमा के साथ ही पूरे क्षेत्र को शक्तिपीठ के रूप में विकसित करने की योजना है। प्रतिमा के चारों ओर वृत्ताकार रूप में श्रीभगवती सीता माता के जीवन दर्शन (Life Circle of Shri Bhagwati Sita Mata) को दर्शाते हुए 108 प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।
शक्तिपीठ की भूमि में मिलाई जाएगी इन-इन जगहों की मिट्टी
शक्तिपीठ की स्थापना को सभी 51 शक्तिपीठों संग बाली (Bali), इंडोनेशिया (Indonesia), श्रीलंका (Sri Lanka) (अशोक वाटिका) व ऐसे सभी स्थल जहां-जहां माता सीता के चरण पड़े थे, वहां से जोत, मिट्टी और जल लाकर शक्तिपीठ की भूमि में मिलाई जाएगी।
पत्रकार वार्ता में दी गई सारी जानकारी
रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज और राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़े (Juna Akhara) के महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि ने जूना अखाड़े में हुई पत्रकार वार्ता में दी।
तन-मन-धन से पूरा किया जाएगा पावन कार्य
बताया कि इसके लिए भूमि के समतलीकरण (Land leveling) का कार्य शुरू हो गया है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने घोषणा की कि अखाड़ा परिषद इस पुनीत कार्य के लिए तन-मन-धन से पूरा सहयोग करेगी। साथ ही सभी अखाड़े इसके लिए जन समर्थन भी जुटाएंगे। रामायण रिसर्च काउंसिल के संयोजक महामंडलेश्वर श्रीमहंत वीरेंद्रानंद गिरि ने बताया कि माता सीता के प्राकट्य स्थल को शक्ति स्थल (Shakti Sthala) के रूप में विकसित किया जाएगा।