बिहार के टीचर्स में पाठक खौफ: देर से आना-कक्षा में सोना, गुरुजी को पड़ रहा महंगा, पूछा- क्यों दिया जाए वेतन?
बिहार के शिक्षकों में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का खौफ नजर आ रहा है। मुख्य सचिव के निर्देश पर स्कूलों की लगातार जांच हो रही है। इस दौरान जो भी टीचर देर से स्कूल पहुंच रहा है या फिर स्कूल में सोते हुए मिल रहा है उसका वेतन काट दिया जा रहा है। साथ ही स्पष्टीकरण भी मांगा जा रहा है।
By Anshuman KumarEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 27 Jul 2023 07:13 PM (IST)
जागरण संवाददाता, सिवान/महुआ: महुआ में विद्यालय में कुर्सी पर बैठकर दीवार पर पैर उठाकर नींद का आनंद लेना गुरुजी को महंगा पड़ गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इसे अनुशासनहीनता का मामला मानते हुए गुरुजी का वेतन रोककर स्पष्टीकरण मांगा है।
जानकारी के मुताबिक, जिला शिक्षा पदाधिकारी वीरेंद्र नारायण ने महुआ प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बनारसीपुर के शिक्षक नरेश कुमार का वेतन स्थगित करते हुए कहा है कि विद्यालय की जांच में पहुंचे एमडीएम साधनसेवी ने जांच के दौरान आपको विद्यालय में कुर्सी पर बैठकर पैर को दीवार पर टिकाकर नींद का आनंद लेते हुए वीडियोग्राफी की है।
पूछा - क्यों न की जाए कार्रवाई, 24 घंटे में दें जवाब
विद्यालय अवधि में आपका यह व्यवहार अनुशासनहीनता, आचरणहीनता के साथ विभाग की छवि को धूमिल करता है। ऐसी स्थिति में आपके खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं कराई जाए, इस पर 24 घंटे के अंदर अपना स्पष्टीकरण दें। स्पष्टीकरण पर विचार होने तक संबंधित शिक्षक का वेतन स्थगित रहेगा।26 दिनों में 2302 की 15 हजार बार हुई जांच
दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर पदाधिकारियों द्वारा विद्यालयों की जांच की जा रही है। यहीं नहीं जांच के दौरान बिना सूचना के विद्यालय से गायब रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।जिला शिक्षा विभाग कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले 26 दिनों में जिले में संचालित 2302 विद्यालयों की 15 हजार से अधिक बार जांच की जा चुकी है। वहीं जांच के दौरान विभिन्न विद्यालयों के 268 शिक्षक बिना सूचना के गायब पाए गए हैं।सचिव केके पाठक के निर्देशानुसार इन शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए एक दिन का वेतन काट दिया गया है। बता दें कि अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर शिक्षा विभाग सहित अन्य 15 विभागों के पदाधिकारियों व कर्मियों को विद्यालय जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गौर करने वाली बात है कि प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के कुल 2302 विद्यालयों में से अधिकांश विद्यालयों की एक से अधिक बार जांच हो चुकी है। जानकारी के अनुसार एक विद्यालय का औसतन चार से पांच बार जांच किया जा चुका है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।विद्यालयों की जांच से दिखने लगा है गुणात्मक सुधार
विद्यालयों की जांच से गुणात्मक सुधार देखने को मिल रहा है। विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति से लेकर पठन-पाठन तक में बदलाव महसूस किया जा रहा है। साफ-सफाई से लेकर शौचालय की स्थिति बदली है। वहीं दूसरी ओर प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का लाभ भी बच्चों को मिल रहा है।75 प्रतिशत से अधिक रह रही छात्रों की उपस्थिति
पूर्व में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति नाममात्र की रहा करती थी, लेकिन अब विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रहा है। यहीं नहीं शिक्षक, शिक्षा सेवक, तालिमी मरकज आदि द्वारा अभिभावकों को उनके बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने के लिए जागरूक किया जा रहा है, जिससे स्कूल में बच्चों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक रहने लगी है।क्या कहते हैं जिम्मेदार?
मुख्य सचिव के आदेश के बाद विद्यालयों की व्यवस्था में गुणात्मक बदलाव दिख रहा है। वहीं बच्चों की उपस्थिति में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है।
-मिथिलेश कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सिवान