Navratri Day 4 Puja Vidhi: मां कूष्मांडा की पूजा कैसे करें? इस मंत्र और पूजा विधि से सारे संकट हो जाएंगे दूर
Maa Kushmanda Puja Vidhi नवरात्रि के चौथे दिन कूष्मांडा माता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कूष्मांडा माता ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इनकी आठ भुजाएं हैं और ये शेर पर सवार रहती हैं। माता के पूजन से भक्तों के कष्ट रोग शोक संतापों का अंत होता है और दीर्घायु एवं यश की प्राप्ति होती है।
जागरण संवाददाता, सिवान। नवरात्रि के चौथे दिन रविवार को कूष्मांडा माता का व्रत और पूजा की जाएगी। दारौंदा प्रखंड के बगौरा निवासी आचार्य जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि कूष्मांडा माता ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है। कूष्मांडा माता का रूप बेहद ही शांत, सौम्य और मोहक माना जाता है।
इनकी आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा कहते हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जाप माला है। कूष्मांडा माता शेर पर सवार रहती हैं।
माता के पूजन से भक्तों के समस्त प्रकार के कष्ट रोग, शोक संतापों का अंत होता है तथा दीर्घायु एवं यश की प्राप्ति होती है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी कूष्मांडा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं। जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय अंधकार का साम्राज्य था। तब देवी कूष्मांडा द्वारा ब्रह्मांड का जन्म होता है, अत: यह देवी कूष्मांडा के रूप में विख्यात हुईं।
इस देव का निवास सूर्यमंडल के मध्य है
इस देवी का निवास सूर्यमंडल के मध्य में है और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं। दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार शक्ति अन्य रूपों का पूजन किया गया है।
मां कूष्मांडा की पूजा सामग्री
मां कूष्मांडा की पूजा के लिए कलावा,कुमकुम, अक्षत, पीली मिठाई, पीले वस्त्र, पीली चूड़ियां, घी, धूप, चंदन, अक्षत और तिल आदि का प्रयोग किया जाता है।मां कुष्मांडा की पूजा विधि
इस दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात माता के साथ अन्य देवी- देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- सबसे पहले दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करें।
- इसके बाद साफ कपड़े, हो सके तो पीला वस्त्र धारण करें।
- देवी को पंचामृत से स्नान करवाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद लाल फूल, कुमकुम और पीले चंदन का तिलक लगाएं।
- फिर फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद भक्तिमय होकर आरती करें।
- इस मंत्र 'ॐ कुष्माण्डायै नम:' का जाप करें।
- पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
- अंत में शंखनाद करते हुए पूजा समाप्त करें।
- प्रसाद को गंगा जल से उसगरकर फिर घर के सदस्यों के साथ अन्य लोगों में बांटे।