जयंती पर विशेष सभापति बाबू की आज जयंती है जिसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। चार बार विधायक व सूबे की मंत्री रहे बसंतपुर प्रखंड के हरायपुर निवासी सभापति सिंह त्याग और सादगी की मूरत थे। देश को आजादी दिलाने में भी उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया था। आजादी मिली तो उन्होंने राजनीति को देश सेवा का माध्यम बनाया।
संसू, बसंतपुर (सिवान)। चार बार विधायक व सूबे की मंत्री रहे बसंतपुर प्रखंड के हरायपुर निवासी सभापति सिंह की 107वीं जयंती दो जनवरी को भगवानपुर हाट के मलमलिया स्थित उनके स्मारक स्थल पर मनाई जाएगी। यह जानकरी देते हुए सभापति बाबू स्मारक के संरक्षक सह पूर्व पैक्स अध्यक्ष मुन्ना सिंह ने बताया कि इसकी तैयारी कर ली गई है। इसको लेकर उक्त स्थल की साफ-सफाई की गई है।
सादगी और त्याग की प्रतिमूर्ति थे सभापति बाबू
बताते हैं कि सभापति बाबू में बचपन से ही भारत माता को आजाद कराने को जुनून था। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजों की यातनाएं सही। आजादी मिली, तो उन्होंने राजनीति को देश सेवा का माध्यम बनाया। निधन के दौरान अपने बैंक खाते में केवल 50 रुपये बैलेंस छोड़ गए।
बता दें कि सभापति बाबू सादगी और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। उनका जन्म दो जनवरी, 1916 को हुआ था। देश आजाद होने पर वह 1957, 1962 , 1967 और 1972 वे विधायक रहे तथा 1967 में महामाया बाबू के मंत्रिमंडल में वह वित्त राज्य मंत्री बनाए गए। उनका निधन 28 मई 1974 में हो गया।
सातवीं की पढ़ाई पूरी कर कूद पड़े थे स्वतंत्रता आंदोलन में
जानकारी के अनुसार, सभापति बाबू सातवीं उत्तीर्ण करने के बाद ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। फिरंगी सिपाहियों ने हरायपुर स्थित उनके आवास पर कई बार छापेमारी की तथा घरवालों को प्रताड़ना भी दी।
एक समय ऐसा भी आया जब घरवाले संबंधियों के यहां शरण ली थीं, लेकिन आजादी के दीवाने सभापति बाबू इसकी चिंता किए बगैर अपनी लक्ष्यों के तरफ अग्रसर रहे।
सभापति सिंह के पुत्र ब्रजकिशोर सिंह के अनुसार महामाया बाबू के नेतृत्व में हुए आंदोलन में सैकड़ों बलिदानी छपरा जेल भेजे गए, इसमें सभापति बाबू भी शामिल थे।
पूर्व रक्षामंत्री ने किया था प्रतिमा का अनावरण
पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने उनकी याद में भगवानपुर हाट प्रखंड के मलमलिया चौक पर उनका स्मारक का निर्माण कराया था।
वहीं उनकी प्रतिमा का अनावरण छह जनवरी 2002 को पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस ने किया तथा देश की आजादी में उनके योगदानों की चर्चा की थी।
यहां प्रत्येक वर्ष दो जनवरी को सभापति बाबू की जयंती मनाई जाती है। इस मौके पर राजनीतिज्ञ, अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ सभापति बाबू के स्वजन आदि एकत्रित होकर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देते हैं।
सर्वाधिक पूरक प्रश्न पूछने का रिकार्ड भी था सभापति बाबू का
सभापति बाबू के पुत्र बताते हैं कि विधानसभा में सर्वाधिक पूरक प्रश्न पूछने का रिकार्ड आज भी पिता के नाम पर है। उनके सहकर्मी डा. सुशील कुमार सिंह बताते हैं कि कर्पूरी ठाकुर, रामानंद तिवारी, मधुलिमये, मधु दंडवते, जार्ज फर्नांडिस सभी समाजवादी नेताओं का उनके यहां पटना आना-जाना लगा रहता था।
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