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Siwan News: एक चिकित्सक व एएनएम के भरोसे रात में चल रहा सिसवन रेफरल अस्पताल, बड़ी लापरवाही आई सामने

Siwan News सिवान के सिसवन रेफरल अस्पताल की व्यवस्था चरमराई हुई है। जागरण पड़ताल में यहां घोर लापरवाही देखने को मिली। अस्पतालों में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण सरकार के सभी दावों की पोल खुल जा रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहा है। जागरण ने लगभग 1 घंटे पड़ताल चलाई थी।

By Shashi Bhushan Upadhyay (Siswan) Edited By: Sanjeev Kumar Published: Sun, 30 Jun 2024 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2024 04:45 PM (IST)
सिवान के सिसवन रेफरल अस्पताल (जागरण फोटो)

संवाद सूत्र, सिसवन (सिवान)। Siwan News: सरकार द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने को लेकर तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं अस्पतालों में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण सरकार के सभी दावों की पोल खुल जा रही है।

शनिवार की रात जब जागरण की टीम सिसवन रेफरल अस्पताल का जायजा लेने पहुंची तो कई कमियां सामने उभर कर आईं। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अस्पताल भगवान भरोसे ही चल रहा है। इस दौरान अस्पताल भवन के बाहरी भाग में अंधेरा छाया हुआ था। ओपीडी एवं एएनएम कक्ष को छोड़कर करीब सभी वार्ड में ताले लटक रहे थे। चिकित्सक ओपीडी कक्ष से बाहर थे जबकि दवा वितरण केंद्र बंद था। गर्मी से बेहाल सुरक्षा प्रहरी जितेंद्र सिंह मुख्य द्वार पर ड्यूटी पर तैनात दिखे।

डा. आजाद अंसारी आपातकालीन सेवा में ड्यूटी में थे, लेकिन वे अपने चेंबर में मौजूद थे। इस दौरान अस्पताल में प्रसव का लाभ लेने के लिए भागर गांव से आई पूजा देवी एडमिट थी। उनके साथ आई उनकी ननद मधुबाला देवी एवं अन्य ने बताया कि हम भागर से प्रसव के लिए आए हैं, लेकिन पिछले तीन घंटे से कोई भी डाक्टर या एएनएम जांच के लिए नहीं आई।

जाकर कहने पर डाक्टर कहते हैं कि दर्द होने पर मरीज देखा जाएगा। वहीं दूसरी ओर मरीजों के लिए स्वच्छ पानी की भी व्यवस्था अस्पताल में नहीं थी। अस्पताल में महिला शौचालय के रूम में ताला लटका हुआ था। महिलाएं भी पुरुष शौचालय का ही प्रयोग कर रही हैं।

बिजली कटने के बाद मरीजों को अंधेरे में रहना पड़ता है। जब ग्रामीण क्षेत्र के लोग मरीज लेकर आपातकालीन सेवा के लिए दूर-दराज से भागते-भागते अस्पताल पहुंचते हैं तो वहां चिकित्सकों के नाम पर इमरजेंसी सेवा में आयुष चिकित्सक तैनात मिलते हैं। इस स्थिति में प्राथमिक उपचार के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर मरीज को एंबुलेंस से सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।

रात्रि 8:15 बजे

रेफर अस्पताल का ओपीडी खुला हुआ था। ड्यूटी में तैनात चिकित्सक डाक्टर आजाद अंसारी मौजूद नहीं थे। पूछने पर बताया गया कि कहीं गए हुए हैं। तुरंत ही आ जाएंगे।

रात्रि 8:30 बजे :

जेनरल वार्ड में अंधेरा पसरा हुआ था, वार्ड में एक डिलीवरी के लिए भागर से महिला पूजा देवी एडमिट थीं। वार्ड में कुछ बेड पर चादर लगा हुआ था जबकि ज्यादातर बेड खाली थे।

रात्रि 8:45 बजे

एएनएम कक्ष में एक एएनएम रंजीता अपने सहायिका रंजना कुमारी के साथ कुर्सी पर बैठी हुई थी। उनके साथ एक दो लोग और बैठे हुए थे। उनसे पूछा गया कि आप क्या कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि फिलहाल मैं यहां अपनी ड्यूटी कर रही हूं।

रात्रि 8:55 बजे 

दवा वितरण काउंटर पर ताला लटका हुआ था। दो नर्स रूम में बैठी थी। पूछने पर दोनों ने बताया कि इमरजेंसी दवा स्टोर से बाहर निकाल कर रख दिया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर उपयोग किया जा सके।

रात्रि 9:15 बजे

जांच केंद्र की तरफ घोर अंधेरा पसरा हुआ था। पूछताछ करने में पता चला कि खून जांच कम दिन में होता है रात्रि में निजी लैब में जाना पड़ता है।

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