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बिहार के इस इलाके में लगती है बेटियों की बोली, खरीद-फरोख्त के बाद उठती है डोली; UP से हरियाणा तक तस्करी का खेल

बिहार के सुपौल जिले में बेटियों की सौदेबाजी का खेल कई दशकों से जारी है। आज भी यहां लाडो की बोली लगाई जाती है और खरीद-फरोख्त के बाद उनकी डोली उठाई जाती है। बेटियों को कई राज्यों में तस्कर किया जाता है। जिस उम्र में उनके हाथों में कॉपी-किताब होनी चाहिए उस उम्र में उनको अधेड़ उम्र के दूल्हों को सौंप दिया जाता है।

By Rajesh Kumar SinghEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 08 Oct 2023 03:25 PM (IST)
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बिहार के इस इलाके में लगती है बेटियों की बोली, खरीद-फरोख्त के बाद उठती है डोली (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सतीश कुमार आलोक, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। प्रखंड क्षेत्र में लाडो की बोली लगने की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है। दलालों के माध्यम से बेटियों का सौदा करने वाला गिरोह क्षेत्र में लगातार सक्रिय है। चंद रुपयों के लिए बेटियों को वे यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश आदि जगहों पर अधेड़ दूल्हों के हाथ बेच देते हैं। प्रखंड क्षेत्र में कई इस तरह की घटना ने लोगों को हैरान कर रखा है।

कई मामले पारिवारिक प्रतिष्ठा व लड़कियों के संकोच तथा लज्जा के कारण सामने नहीं आ सके हैं। खरीद-फरोख्त में बिचौलियों के साथ-साथ नजदीकी रिश्तेदार व स्वजन भी शामिल रहते हैं। सूत्रों की मानें, तो क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में दलालों का नेटवर्क सक्रिय है, जो इन क्षेत्रों से शादीशुदा और नाबालिग लड़कियों को विवाह की रस्मों में बांधकर राजस्थान, उत्तरप्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में ले जाते हैं और वहां अधेड़ उम्र के लोगों को बेच देते हैं।

बगैर कोई जानकारी लिए रुपये लेकर अपनी लड़कियों को अधिक उम्र के लोगों के साथ शादी कर देते हैं। लाडो की बोली लगती है और खरीद-फरोख्त के लिए डोली उठती है। अधिकांश लड़कियां दोबारा वापस नहीं लौटती और उनका कोई पता भी नहीं चलता कि वे कहां हैं।

जिस उम्र में होनी चाहिए हाथ में किताब, उसमें रचा दी जाती है बेमेल शादी

चंद रुपये के लालच में मानव तस्करों द्वारा नाबालिग के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस उम्र में नाबालिग के हाथों में किताब-कॉपी रहनी चाहिए उस उम्र में उसे अन्य राज्यों के उन्हें अधेड़ दूल्हे का हाथ थमा दिया जाता है। हालांकि, इसकी भनक लगने के बाद पुलिसिया कार्रवाई भी समय-समय पर होती है। बावजूद इसके मानव तस्करी की घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता हेमलता पांडेय ने जब मानव तस्करी, बाल विवाह, दहेज प्रथा आदि कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाया तो काफी हद लगाम लगी थी। उन्होंने कई मामलों में संलिप्त लोगों को न्यायिक हिरासत की दहलीज तक पहुंचाया। लेकिन हाल के दिनों में गिरोह फिर सक्रिय हो गए।

केस स्टडी-1

17 सितंबर को जदिया थाना क्षेत्र में रुपये का प्रलोभन देकर उत्तर प्रदेश से आए लोगों द्वारा महिला एवं उसकी नाबालिग पुत्री को बाहर ले जाया जा रहा था। सूचना पर पुलिस ने महिला एवं उसकी नाबालिग पुत्री को गिरोह के चंगुल से मुक्त कराते हुए उत्तर प्रदेश के दो जबकि स्थानीय एक महिला सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

केस स्टडी-2

जनवरी 2022 में मधेपुरा जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के निवासी जहांगीर आलम ने मानव तस्करों के विरुद्ध जदिया थाना में आवेदन देकर केस भी दर्ज कराया था। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए स्थानीय एक बिचौलिये के अलावा उत्तर प्रदेश के सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

केस स्टडी-3

2019 के फरवरी में त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र में यूपी से आए लड़के द्वारा रुपये का प्रलोभन देकर शादी कराई जा रही थी। इसकी जानकारी पुलिस को मिली तो पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दूल्हा सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया।

केस स्टडी-4

दिसंबर 2018 में थाना क्षेत्र के एक गांव में ऑटो पर सवार हरियाणा के दूल्हा एवं नाबालिग दुल्हन को पकड़ा गया। दिसंबर 2018 में ही पंचमुखी हनुमान मंदिर में नाबालिग से शादी कर उसे मध्य प्रदेश ले जाने की तैयारी चल रही थी कि पुलिस को इसकी भनक लग गई। दूल्हे एवं उसके स्वजनों के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया था।

मानव तस्करी की घटना को लेकर पुलिस गंभीर है और भनक लगते ही कार्रवाई भी कर रही है। मानव तस्करों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों पर पुलिस नजर बनाए हुए है। - विपिन कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, त्रिवेणीगंज

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