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Bihar News:पस्त सिस्टम ने फिर ले ली एक प्रसूता की जान, OPD और इमरजेंसी वार्ड में एक ही महिला चिकित्सक

बिहार के सुपौल में एक बार फिर हेल्थ सिस्टम ने सरकार की पोल खोल दी। सिमराही की रहने वाली 26 वर्षीय आरती देवी को प्रसव पीड़ा होने पर सिमराही रेफरल अस्पताल इलाज के लिए लेकर आए। करीब पांच घंटे तक प्रसूता जिंदगी और मौत के बीच की जंग लड़ती रही। लेकिन अस्पताल का कोई भी डॉक्टर उसका हाल जानने नहीं नहीं आया। अंत में पीड़ित महिला की जान चली गई।

By Bharat Kumar JhaEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Thu, 14 Sep 2023 03:15 PM (IST)
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पस्त सिस्टम ने फिर ले ली एक प्रसूता की जान(प्रतिकात्मक तस्वीर)

जागरण संवाददाता, सुपौल। बिहार के सुपौल जिले में सिस्टम के खेल में फिर एक प्रसूता की जान चली गई। भले ही जननी बाल सुरक्षा योजना हो या फिर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सबको ठेंगा दिखाते हुए पूरा सिस्टम अपने हिसाब से चल रहा है। नतीजा है कि प्रसूता की जान यूं ही चली जाती है। सिमराही के रहने वाले जगन्नाथ मंडल अपनी पत्नी 26 वर्षीय आरती देवी को प्रसव पीड़ा होने पर सिमराही रेफरल अस्पताल लेकर पहुंचे।

प्रसूता ने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। लेकिन बच्ची की मां (आरती) की स्थिति बिगड़ने लगी। मरीज में खून की कमी को देखते हुए सिमराही रेफरल अस्पताल प्रबंधन ने उसे सदर अस्पताल सुपौल के लिए रेफर कर दिया। स्वजन आरती को लेकर 11 बजे रात में सदर अस्पताल पहुंचे।

पांच घंटे तक प्रसूता जिंदगी और मौत से लड़ती रही

इस मामले को ड्यूटी पर तैनात एएनएम ने अपने हिसाब से हेंडल करना शुरू किया। लगभग पांच घंटे तक प्रसूता जिंदगी और मौत से जूझती रही लेकिन कोई भी चिकित्सक उसको देखने नहीं आया। स्वजनों का हाल देखिए वे मरीज को रेफर करने की गुहार लगाते रहे लेकिन चरमराई सिस्टम ने उनकी एक ना सुनी और अंतत: आरती ने दम तोड़ दिया। ये कोई पहली आरती नहीं है, जिसने इस कदर अपनी जान गंवाई।

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अमूमन ऐसी घटना होती रहती है। अब ऐसे में सवाल उठना तो लाज़िमी है कि जब किसी इमरजेंसी में निचले स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों से मरीज रेफर किए जाते हैं तो उसके प्रति गंभीरता क्यों नहीं बरती जाती है। ड्यूटी पर तैनात एएनएम जो अपने हिसाब से मरीज हेंडल करने लगी उसने ड्यूटी वाले चिकित्सक को समय पर सूचना क्यों नहीं दी।

जबकि प्रसव कक्ष में सिस्टम के हिसाब से चिकित्सकों की ड्यूटी ऑन काल हुआ करती है। वैसे अस्पताल के उपाधीक्षक सह महिला चिकित्सक डा. नूतन वर्मा की मानें तो मरीज के मौत की सूचना उन्हें दी गई।

वैसे भी सदर अस्पताल के जो हालात हैं। उसमें ओपीडी से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक को देखने के लिए एक ही महिला चिकित्सक है। ऐसे गंभीर मामलों पर न तो विभाग गंभीर दिखाई दे रहा है और ना ही सरकार।

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