मनरेगा से 1182 योजनाएं संचालित, फिर भी काम की तलाश में परदेस जा रहे मजदूर
संवाद सूत्र सरायगढ़ (सुपौल) सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड से काफी संख्या में मजदूरों का पलायन ह
By JagranEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 05:30 PM (IST)
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड से काफी संख्या में मजदूरों का पलायन हो रहा है। प्रखंड क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने के कारण गरीब मजदूर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य जगहों को जा रहे हैं। जानकारी अनुसार प्रखंड के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा से 1182 योजनाएं संचालित हैं। पंचायतों में जो योजनाएं मनरेगा की चल रही है उसमें आवास योजना भी शामिल है जिसकी संख्या 540 के करीब है। इतने बड़े पैमाने पर यदि योजनाओं का संचालन हो रहा है तो फिर मजदूरों का पलायन क्यों हो रहा है यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है।
----------------------------------------------- प्रखंड में 6941 मजदूर हैं एक्टिव मनरेगा योजना को चलाने के लिए 6941 मजदूर एक्टिव हैं। उन मजदूरों का निबंधन है और जो भी योजनाएं चल रही है उनमें उन्हीं लोगों से काम लिया जा रहा है। लेकिन जमीनी सच्चाई अलग है। स्थल पर कहीं भी मजदूर नजर नहीं आ रहे हैं। जिन-जिन योजनाओं को लेकर मजदूरों का मास्टर रोल निकाला जा रहा है उसके बारे में क्षेत्र के लोग बताते हैं कि फिलहाल में वैसे मजदूर पलायन कर चुके हैं। पंचायत रोजगार सेवक सभी मजदूरों का जाब कार्ड अपने पास रखे हुए हैं और मनमर्जी उपयोग करते हैं। कई लोगों का कहना है कि अगर जमीन पर देखा जाए तो कहीं भी कोई मजदूर दिखाई नहीं देंगे तो फिर उन मजदूरों के नाम पर राशि की निकासी कैसे हो रही है। यदि मजदूरों को काम मिलता तो इतने बड़े पैमाने पर मजदूर पलायन क्यों करते। कुछ लोग बताते हैं कि गांव में अब महिलाओं की अधिक संख्या रह गई है। जो पुरुष वर्ग थे वह बाहर पलायन कर गए। अब वह सब धान रोपने के समय वापस लौटेंगे। जानकारों ने बताया कि मनरेगा में जितने मजदूरों का निबंधन किया गया उन सभी का जाब कार्ड पीआरएस अपने पास रख लिए। जो मजदूर योजना में काम कर भी रहे हैं तो उनके खाते में राशि नहीं जा रही है क्योंकि वैसे मजदूरों को दूर-दूर से बुलाया जाता है ताकि योजना में हो रही गड़बड़ी का खुलासा नहीं हो। जब प्रखंड क्षेत्र में 11 सौ से अधिक योजना अभी भी संचालित है तो उसमें कौन से मजदूर काम कर रहे हैं। क्या मजदूरों के लिए कार्य स्थल पर सुविधा उपलब्ध कराई गई है। क्या जो निबंधित मजदूर हैं उससे काम लिया जा रहा है। अगर नहीं तो वैसे मजदूरों का निबंधन क्यों किया गया जो लगातार बाहर रहते हैं। इस तरह के कई सवाल उठने लगे हैं।
------------------------- योजनाओं के स्थल जांच को लेकर उठने लगी है मांग
मनरेगा से संचालित योजनाओं की जांच को लेकर अब आवाज उठनी लगी है। लोगों का कहना है कि योजना में अधिकतर जगहों पर मजदूरों की हिस्सेदारी नहीं हो रही है। अधिकारी के धरातल पर पहुंचने पर योजना के अभिकर्ता सच्चाई को छुपा लेते हैं जिसका नतीजा यह है कि जरूरतमंदों को गांव में रोजगार नहीं मिल पा रहा है। लोगों ने जिलाधिकारी से टीम गठित कर पंचायतवार मनरेगा योजनाओं की जांच किए जाने की मांग की है। ------------------- बोले कनीय अभियंता मनरेगा के कनीय अभियंता सौरव कुमार ने कहा कि वर्तमान में प्रखंड क्षेत्र में एक 1182 योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिसमें मजदूर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मजदूरों के खाते में राशि भी दी जा रही है। जब उनसे पूछ गया कि किस योजना में कौन सा मजदूर काम कर रहा है तो वे चुप्पी साध गए। --------------------- बोले परियोजना पदाधिकारी मनरेगा के परियोजना पदाधिकारी मु. फुरकान ने बताया कि फिलहाल 9641 मजदूर एक्टिव हैं। उन्होंने कहा कि कई योजनाओं को लेकर मास्टर रोल निकाले जा रहे हैं जब उनसे यह पूछा गया कि इस योजना में कितनी संख्या में मजदूर काम कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि यह सब जानकारी पंचायत रोजगार सेवक के पास हुआ करती है। उन्होंने कहा प्रखंड क्षेत्र में आज की तिथि में कितने मजदूर काम कर रहे इसकी उन्हें जानकारी नहीं है और ना ही कार्यालय में कोई दस्तावेज जमा किया जा रहा है। परियोजना पदाधिकारी मनरेगा के द्वारा यह कहा जाना कि योजना में कितने मजदूर काम कर रहे हैं इसकी जानकारी पीआरएस के पास है अपने आप में एक बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि जब 1182 योजना प्रखंड क्षेत्र में संचालित है तो प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मजदूरों का पलायन क्यों हो रहा है।
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