KK Pathak को ही 'चूना' लगाने लगे अधिकारी और कर्मचारी! निरीक्षण के नाम पर कर रहे बड़ा 'खेल'
शिक्षा विभाग ने निरीक्षण को लेकर जिनके कंधे जिम्मेदारी दे रखी है वे अधिकारी और कर्मी ही विभाग की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला तब पकड़ में आया जब पिछले दिनों जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने सभी निरीक्षण पदाधिकारी और कर्मियों के साथ संयुक्त बैठक की। समीक्षा में पाया चला कि 27 निरीक्षण कर्मचारियों ने निरीक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति की है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। बेशक विभाग ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर हाल के दिनों में कई तरह के कदम उठाए हैं। केके पाठक ने तो अधिकारियों की निरीक्षण की भी ड्यूटी लगा रखी है। हालांकि, अब निरीक्षण में खानापूर्ति हो रही है। एक तरह से अधिकारी अपर मुख्य सचिव को ही चूना लगा रहे हैं।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने निरीक्षण को लेकर जिनके कंधे जिम्मेदारी दे रखी है वे ही अधिकारी व कर्मी ही विभाग की आंखों में धूल झोंकने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला तब पकड़ में आया जब पिछले दिनों जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने सभी निरीक्षण पदाधिकारी और कर्मियों के साथ संयुक्त बैठक की।
27 कर्मचारियों ने की खानापूर्ति
बैठक में जब डीईओ ने दो से चार मई तक के निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा की तो पाया गया कि 27 निरीक्षण कर्मचारियों ने निरीक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति की है। पाया गया कि इन निरीक्षण कर्मियों ने तीन दिन में जितने विद्यालयों का निरीक्षण किया उनमें एक भी शिक्षक अनुपस्थित नहीं पाए गए।इस पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि इन निरीक्षण कर्ताओं द्वारा निरीक्षण के नाम पर या तो खानापूर्ति की गई है या फिर आपसी मिलीभगत कर प्रतिवेदन समर्पित कर विभाग की आंखों में धूल झोंकी गई है। फिलहाल, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा इन सभी निरीक्षण कर्ताओं के एक दिन की वेतन कटौती की कार्रवाई की गई है।
विभाग द्वारा जिन 27 निरीक्षणकर्ताओं के वेतन की कटौती की है उसमें प्रतापगंज प्रखंड के 11 तथा त्रिवेणीगंज प्रखंड के 16 निरीक्षणकर्ता शामिल हैं।
शिक्षा विभाग ने लगा रही है निरीक्षण की ड्यूटी
बता दें कि शिक्षा में सुधार को लेकर विभाग ने सभी सरकारी विद्यालयों का सप्ताह में कम से कम तीन दिन निरीक्षण करने की व्यवस्था कर रखी है। इसके लिए अधिकारी व कर्मियों का रोस्टर तैयार कर इन्हें प्रतिदिन कम से कम 10 विद्यालयों का निरीक्षण करने का जिम्मा सौंपा गया है। शुरुआती दिनों में तो यह व्यवस्था कारगर दिखी परंतु बाद के दिनों धीरे-धीरे आपसी मिलीभगत की भेंट चढ़ती गई।
बात यहां तक आ गई कि निरीक्षणकर्ता में कई ऐसे अधिकारी व कर्मी हैं जो घर बैठे विद्यालयों का निरीक्षण कर प्रतिवेदन विभाग को सौंप देते हैं या फिर आपसी सेंटिंग-गेटिंग कर विभाग के इस प्रयास को पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।पिछले दिनों सरायगढ़ प्रखंड में बिना निरीक्षण किए चार शिक्षकों की वेतन कटौती कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है। हालांकिस यह पहली बार है जब निरीक्षण कर्ताओं की गड़बड़ी विभाग के पकड़ में आई है और इनके विरुद्ध कार्रवाई हुई है नहीं तो अभी तक कार्यवाही के जद में शिक्षक ही आते रहे हैं।
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