Bihar Expressway : सुपौल में सड़कों के सहारे दिल्ली की राह खोज रहा NDA, अब इन छह हाइवे से और चमकेगी किस्मत
Supaul News सुपौल में सड़कों के सहारे राजग दिल्ली की राह आसान बनाने में जुटा हुआ है। एक वक्त था जब यह इलाका पिछड़ा था और अब उतनी ही तेजी से इसका विकास हो रहा है। आने वाले समय में भी सुपौल होकर छह हाइवे गुजरनी है। ग्रामीण सड़क स्टेट हाइवे की बात छोड़ दें यहां राष्ट्रीय राजपथ का जाल बिछा हुआ है।
भरत कुमार झा, सुपौल। आवागमन और यातायात के मामले में सुपौल का अतीत जितना पिछड़ा माना गया वर्तमान उतना ही समृद्ध होता जा रहा है। सुपौल होकर कुल छह हाइवे गुजरनी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने कार्यकाल में कोसी में फोरलेन के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर सिल्चर से पोरबंदर की दूरी को कोसी के रास्ते सहज और सुलभ बना दिया।
बिहार के दस जिलों से होकर गुजरेगा इस एक्सप्रेस-वे का रूट
विद्यापति से मंडन मिश्र, जानकी से भारती, फणीश्वरनाथ रेणु से नागार्जुन की धरती का मिलन हो गया। एक ही संस्कृति थी जिसे कोसी ने दो फाड़ कर दिया था। लगभग 78 वर्षों से दो भागों में विभक्त मिथिला का एकीकरण हो गया।
निर्माण के बाद एनएच 57 कोसी के इस पिछड़े क्षेत्र के लिए लाइफ लाइन साबित हो गया। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से बिहार से गुजरते हुए, पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी तक एक और एक्सप्रेस-वे के निर्माण का प्रस्ताव रखा।
आर्थिक रूप से पिछड़े इस राज्य बिहार को एक और एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलने जा रही है। दरअसल गोरखपुर से सिलीगुड़ी जाने वाले एक्प्रेस-वे का रूट बिहार के 10 जिलों में निर्धारित किया गया है। इन सड़कों के सहारे एनडीए दिल्ली की राह आसान बनाने में जुटा है। मतदाताओं के बीच इसे प्रचारित किया जा रहा है।
यहां बिछा है नेशनल हाईवे का जाल
ग्रामीण सड़क, स्टेट हाइवे की बात छोड़ दें यहां राष्ट्रीय राजपथ का जाल बिछा हुआ है। वह दिन बीते काफी समय नहीं हुआ है जब कोसी का यह क्षेत्र दुर्गम माना जाता था।पगडंडियों से होकर लोग पैदल आवाजाही करते थे। शादी-विवाह के मौकों पर या विशेष लोगों के आगमन पर या फिर सामान ढोने के लिए बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी का उपयोग होता था।किसी के बीमार होने पर खटिया पर टांग कर शहर ले जाना लोगों की मजबूरी होती थी। भूले से किसी गांव में जीप जैसी सवारी आ जाती थी तो बच्चे उसके पीछे दौड़ते-दौड़ते धूल-धूसरित हो जाते थे। घर की महिलाएं पर्दे की ओट से इसे जाते देखती थीं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।