संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल)। Supaul News: कोसी नदी से प्रभावित गांवों में लड़कियां चाह कर भी उच्च शिक्षा पाने से दूर रह जाती हैं। कोसी का बाढ़ और कटाव लड़कियों को कहीं उच्च विद्यालय तो कहीं उससे आगे की पढ़ाई में बाधक बनी हुई है। अकेले सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांव कोसी की विभिन्न धाराओं से घिरा है और वहां कोई उच्च विद्यालय नहीं है।
जानकारी अनुसार प्रखंड क्षेत्र में लौकहा पलार, बहुअरवा, कवियाही, करहरी, उग्रपट्टी, तकिया, बाजदारी, गौरीपट्टी, सियानी, कटैया, ढ़ोली, झखराही, मौरा, रहरिया, पिपराही, औरही, सिहपुर, सनपतहा उत्तर, बलथरबा पलार, कटैया भुलिया, देवघर भुलिया, बनैनियां पलार, गढ़िया उत्तर, कल्याणपुर पश्चिम सहित अन्य गांव हैं। इनमें से अधिकांश गांव कोसी की विभिन्न धाराओं से चारों तरफ से घिरा है।
नदि को पार कर स्कूल जाने में परेशानी
नदी को पार कर विद्यालयों तक जाने में छात्राओं को भारी परेशानी होती है। लड़के तो जैसे-तैसे उच्च विद्यालय तक पहुंच जाते लेकिन लड़कियों के लिए ऐसा करना संभव नहीं होता है। तटबंध के अंदर एक भी उच्च विद्यालय नहीं है। जो भी उच्च विद्यालय है या तो वह तटबंध के बाहर है या फिर तटबंध से सटे है जहां पर लड़कियां नहीं जा पाती।
जानकारी अनुसार कुछ जगहों पर मध्य विद्यालय की पढ़ाई पूरी कर लड़कियां छोड़ देती है। तो कुछ जगह पर उच्च विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है। वैसे उच्च विद्यालय तक 10 प्रतिशत लड़कियां ही जा पाती हैं।
अधिकतर लड़कियां घर पर ही रहकर जैसे-तैसे मैट्रिक की पढ़ाई करती हैं पूरी
कोसी के गांव के कुछ शिक्षकों ने बताया कि अधिकतर लड़कियां घर पर रहकर ही जैसे-तैसे मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करती है। शिक्षकों का कहना है कि कोसी के गांव में कहीं उच्च विद्यालय नहीं है। कोसी के गांव से उच्च विद्यालयों की दूरी 30 से 40 किलोमीटर तक है। वहां तक जाना आना लड़कियों के लिए आसान नहीं होता।
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पुरुषों के पलायन के कारण भी नहीं पढ़ पाती लड़कियां
कोसी के गांव से अधिकतर पुरुषों का वर्ष के अधिकांश महीने तक पलायन रहता है। घर की रोजी-रोटी चलाने के लिए पुरुष बाहर में रहते और उसका परिणाम होता है कि लड़कियों के ऊपर काफी बोझ पड़ता है। खेती बाड़ी से लेकर माल मवेशी के पालन तक की जिम्मेदारी लड़कियों के जिम्मे में हुआ करती है। इसके चलते भी लड़कियों का स्कूल से दूरी बन जाता है। हालांकि अधिकतर लड़कियों की मंशा उच्च शिक्षा पाने की रहती है लेकिन समय के साथ नहीं देने के चलते उनका मनोबल टूट जाता है।