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Bihar Land News: बंजर हो रही हजारों एकड़ जमीन, नहीं हो रहा सीपेज का निदान; किसान परेशान

पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे बसे गांव में जितने लोगों की जमीन से सीपेज का पानी बहता है वे लंबे समय से बेहाल हैं। जमीन रहने के बावजूद सैकड़ों किसान अपने खेतों में फसल नहीं लगा पाते। सुखाड़ के समय जब खेतों में मूंग धान पाट गरमा धान लगाते भी हैं तो कटाई के समय तक पानी भर जाता है और फिर लोगों को लागत भी हाथ नहीं लगती है।

By Rajesh Kumar Singh Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 24 Apr 2024 04:33 PM (IST)
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बंजर हो रही हजारों एकड़ जमीन, नहीं हो रहा सीपेज का निदान; किसान परेशान
संवाद सूत्र, किशनपुर (सुपौल)। प्रखंड क्षेत्र में कोसी पूर्वी तटबंध के किनारे चैनल की खोदाई नहीं होने से हजारों एकड़ जमीन बंजर बनी हुई है। चैनल के बन जाने से अंदौली, बैजनाथपुर, थरिया, थरबिटिया, रतनपुरा, फुलकाहा, खखई के लोगों की उपजाऊ जमीन सीपेज से मुक्त हो जाएगी।

प्रखंड के दस गांव तक बाढ़ और सुखाड़ में जलजमाव रहता है। बरसात के दिनों में तो वहां 03 से 04 फीट तक पानी बहता है। जलजमाव के कारण सुखाड़ में भी ऐसे खेतों में बहुत कम ही जगह पर लोग फसल लगा पाते हैं। उस पर उनकी कटनी का समय आने तक खेतों में सिपेज का पानी भर जाता है।

इस गंभीर समस्या के निदान के लिए अधिकारी से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई काम नहीं किया जा रहा है जिस वजह से प्रखंड के कुछ हिस्सों के लिए सिपेज वर्षो से अभिशाप बना हुआ है।

बेहाल हैं किसान

पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे बसे गांव में जितने लोगों की जमीन से सीपेज का पानी बहता है वे लंबे समय से बेहाल हैं। जमीन रहने के बावजूद सैकड़ों किसान अपने खेतों में फसल नहीं लगा पाते। सुखाड़ के समय जब खेतों में मूंग, धान, पाट, गरमा धान लगाते भी हैं तो कटाई के समय तक पानी भर जाता है और फिर लोगों को लागत भी हाथ नहीं लगती है।

हालात यह है कि सीपेज प्रभावित खेतों में न तो मछली पालन हो पाता है और ना ही कोई दूसरी खेती। यदि कहीं मछली पालन किया भी जाता है तो वह सारी मछली पानी की तेज धारा में बह जाती है। खेती पर निर्भर रहने वाले लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में पलायन करते हैं।

क्या कहते हैं किसान?

सीपेज के पानी का समाधान कब होगा इस बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल रही है। लोग सरकारी महकमे एवं सांसद विधायक के पर अपना भरोसा रखा हुआ है। चुनाव के समय तो सभी लोग कहते हैं कि जब हम चुनाव जीतेंगे तो इस बार लोकसभा में इसे उठाएंगे और निदान कराएंगे, लेकिन जब चुनाव जीतकर जाते हैं तो फिर अगले चुनाव ही वोट मांगने आते हैं।

कुमरगंज, रतनपुरा, कदमपुरा बेलही के किसान जगदीश यादव, शैलेंद्र यादव, बिंदेश्वरी यादव आदि ने बताया कि सरकार को इस समस्या का समाधान करना चाहिए, जिससे हजारों लोगों का खेत उपजाऊ बन सके। लोगों का कहना है कि जब तक यह समस्या दूर नहीं होगी, तब तक क्षेत्र में परेशानी बनी रहेगी सीपेज के कारण हजारों परिवार प्रभावित हैं।

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