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जयंती पर याद किए गए मातादीन भंगी

जागरण संवाददाता, हाजीपुर मातादीन भंगी नहीं होते तो सन् 1857 का महान गदर इतिहास के पन्नों में दर्ज

By Edited By: Updated: Mon, 01 Dec 2014 01:01 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, हाजीपुर

मातादीन भंगी नहीं होते तो सन् 1857 का महान गदर इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं होता और न ही मंगल पांडेय सिपाही विद्रोह के नायक बनते। इतिहासकारों ने मातादीन के साथ अन्याय किया। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सूत्रधार को इतिहासकारों ने भुला दिया।

1857 के सिपाही विद्रोह के सूत्रधार व महान योद्धा मातादीन भंगी की जयंती पर आयोजित समारोह के दौरान एससी-एसटी कर्मचारी संघ के जिला संयुक्त सचिव सुजीत कुमार चौधरी ने यह बातें कही। संघ के तत्वावधान में हाजीपुर अंबेडकर कालोनी स्थित सामुदायिक भवन में रविवार को आयोजित जयंती समारोह में उपस्थित भंगी समाज के लोगों को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि जिंदा कौम अपने पूर्वजों की यादों को अपने दिलों में संजो कर रखता है। इस दौरान संघ के जिला सचिव ललन राम ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि अपने पूर्वजों को भूलने वाली कौम इस जहां से मिट गयी। उनके साथ नाइंसाफी इसलिए हुयी कि उनकी संतानें अपने पूर्वजों की थाती को सुरक्षित ररखने के लिए सजग नहीं थे। इस मौके पर रामू कुमार, राजू कुमार, सुरेश राम, सन्नी कुमार, संघ के अध्यक्ष अरुण पासवान, अंबेडकर विकास मंच के जिला महासचिव धर्मेद्र चौधरी, सुरेंद्र राम, मुखिया संतोष कुमार, सुधीर कुमार, साजन सत्यदेव, सिकंदर राम, उपेंद्र राम, अजय राम, राजेश राम, कामेश्वर कुमुद, सुनील कुमार, राजेश मल्लिक, महेंद्र मल्लिक समेत दर्जनों वक्ताओं ने भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाडेय को अंग्रेजों की असलियत से परिचित करा कर विद्रोह के लिए तैयार करने वाले मातादीन के व्यक्तित्व और देश के प्रति उनके योगदान पर प्रकाश डाला। इस दौरान उपस्थित लोगों ने अमर योद्धा के चित्र पर माल्यार्पण, श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपनी श्रद्धा निवेदित की।

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