ऐसा वृक्ष जिससे निकलता था खून, जब पेड़ काटने का दिया आदेश तो... नवरात्र पर दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
Navratri 2023 आज हम आपको ऐसे वृक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे खून निकलता था। यह वृक्ष बिहार के रतनपुरा गांव में स्थित है। वृक्ष भवानी भुइयां के नाम से प्रसिद्ध है। यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना के लिए पूजा- अर्चना करने आते हैं। प्रत्येक वर्ष नवरात्र में अष्टमी पर यहां विशाल मेला लगता है।
By Chandra Bhushan Singh ShashiEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sat, 21 Oct 2023 10:45 AM (IST)
संवाद सूत्र, भगवानपुर (वैशाली)। हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड में बिठौली-भगवानपुर स्टेशनों के बीच रतनपुरा गांव में रेलवे लाइन के पूरब स्थित भवानी भुइयां के नाम से प्रसिद्ध अद्भुत वृक्ष एक शक्तिपीठ के रूप में चर्चित है। कहा जाता है कि इस सैकड़ो वर्ष पुराने हरे-भरे वृक्ष की डाली या पत्तियां तोड़ने पर खून निकलता था।
सैंकड़ों वर्षों से हो रही वृक्ष की पूजा-अर्चना
मालूम हो कि आज तक किसी भी वनस्पति विज्ञानी को यह पता नही चल पाया कि यह अद्भुत वृक्ष क्या है? सैंकड़ों वर्ष पहले से इस अद्भुत वृक्ष की पूजा-अर्चना होती आ रही है। प्रत्येक वर्ष नवरात्र पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं।
क्या बताते हैं लोग?
स्थानीय लोगों के अनुसार, प्राचीन समय में एक महिला यहां घास काट रही थी। उसके पीछे कुछ मुगल शासक के घुड़सवार दरिंदे लग गए थे। भयभीत महिला ने अपनी इज्जत बचाने के लिए धरती माता को पुकार लगाई, जिससे धरती दो भागों में विभक्त हो गई और वह उसी में समा गई।ठीक उसी जगह एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई। एक रात एक ग्रामीण को स्वप्न आया कि मैं भगवती के रूप में पौधे का रूप धारण कर अवतरित हुई हूं। तुम सब मिलकर मेरी सेवा करो, सारी मनोकामनाएं पूरी होगी।
नवरात्र में अष्टमी पर लगता है मेला
बुजुर्ग कहते हैं कि तब से इस वृक्ष का पूजन जारी है। यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना के लिए पूजा-अर्चना करने आते हैं। प्रत्येक वर्ष नवरात्र में अष्टमी पर दिन से लेकर रातभर यहां विशाल मेला लगता है।मेले में कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर के नामी-गिरामी पहलवान हिस्सा लेते हैं। आसपास के क्षेत्र में भवानी भुइयां की पूजा-अर्चना के बाद ही मां दुर्गा का पट खुलता है।
इस क्षेत्र के लोग इस स्थल को शक्तिपीठ के रूप में मान्यता देकर प्राचीन समय से ही पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। यहां के लोग कोई शादी-विवाह और अच्छे कार्यों से पहले भवानी भुइयां की पूजा कर ही किसी कार्य की शुरुआत करते है।
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