Bihar News: हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर हर शनिवार सैकड़ों लोगों को रहता इस चीज का बेसब्री से इंतजार
Bihar News हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर हर शनिवार को करीब 500 अभावग्रस्त लोगों को भोजन इंतजार रहता है।आज से करीब 2 साल पहले जब कोरोना का दौर था तब से ही युवाओं के एक समूह द्वारा जरूरतमंदों को भोजन कराने की यह व्यवस्था की शुरू की गई। उस समय से लेकर ये सिलसिला आज भी जारी है। 25 से 30 युवाओं की इस टोली में कई पेशे से जुड़े युवा शामिल हैं।
संवाद सूत्र, हाजीपुर (Bihar News): हाजीपुर रेलवे स्टेशन (Hajipur Railway Station) परिसर में हर शनिवार लगभग 500 अभावग्रस्त लोगों को सुस्वादु भोजन का इंतजार रहता है। युवाओं का समूह खुद ही भोजन तैयार भी करता है और फिर उसे गाड़ी से लेकर आता है। पंगत में सभी को बैठाकर पूरे सेवाभाव से भोजन कराता है और फिर सभी को प्रणाम कर वहां से प्रस्थान कर जाता है।
लगभग 21 माह पहले जब कोरोना के संकटकाल का दौर था। उस वक्त युवाओं के इस समूह ने अभावग्रस्त लोगों को भोजन कराने का संकल्प लिया। युवाओं की टोली को दरिद्रनारायण की सेवा में इतना आनंद आने लगा कि अब सामान्यकाल में भी यह उनकी आदत बन गई है।
अब स्थिति यह है कि समाज के विभिन्न वर्ग के लोग इस सेवा में सहयोग को आगे आने लगे हैं। दिसंबर तक का स्लाट बुक हो चुका है। सहयोग के तौर पर भोज्य सामग्रियां ली जाती हैं, नकद नहीं। 25 से 30 युवाओं की इस टोली में विभिन्न पेशे से जुड़े युवा शामिल हैं।
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एक बुजुर्ग की भूख से द्रवित हुआ हृदय
भंडारा के संस्थापक संजय तिवारी बताते हैं कि कोरोना(Corona Case) का संकटकाल चल रहा था। शाम 7 बजे से शहर में कर्फ्यू लग जा रहा था। ठंड का मौसम था। जनवरी 2022 में वे लोग शहर में घूमकर खुले में रहने वाले मेहनतकश व जरूरतमंदों के बीच कंबल बांट रहे थे।
चौहट्टा के निकट एक बुजुर्ग ने कंबल लेने से मना करते हुए कातर स्वर में कहा कि बहुत भूख लगी है। अन्य साथियों को वहीं पर छोड़ घर से खाना लाकर उसे खिलाया। हृदय इतना द्रवित हुआ कि वहीं ठान लिया कि अब नियमित ऐसे लोगों की भूख मिटाने की व्यवस्था करनी है।
मकर संक्रांति को दही-चूड़ा से शुरू किया भंडारा
भंडारा के अध्यक्ष बबलू कुमार सिंह, सुजीत कुमार एवं विनय पांडेय के साथ बैठकर संजय तिवारी ने मकर संक्रांति के दिन भंडारा शुरू किया। सभी ने अपने घरों से दही, चूड़ा, सब्जी एवं तिलकुट (Makar Sankranti) जुटाए और अपनी स्कार्पियो से लेकर स्टेशन परिसर पहुंचे। वहां 25 से 30 गरीबों को भोजन कराया। काफी आशीर्वाद मिला। आत्मसंतुष्टि हुई।
घर के लोग परेशान हुए तो किराए पर लिया मकान
संजय बताते हैं, शुरू में चार-पांच सप्ताह तक युवाओं की टोली अपने घर से खाना बनाकर प्रत्येक शनिवार को ले जाते और स्टेशन पर गरीबों को पंगत में बैठाकर खिलाते। धीरे-धीरे संख्या बढ़ने लगी। घर के लोग खाना बनाने में परेशान होने लगे। घर की महिलाएं करने लगीं कि यह कौन सा धंधा शुरू कर दिए?
इसके बाद आपस में विमर्श कर शहर में किराए का मकान लेकर खुद भोजन तैयार करने लगे। कोई सब्जी काटता है तो कोई खाना बनाता है। सिर्फ बर्तन धोने के लिए एक आदमी रखा गया है। वहीं स्टेशन (Hajipur Railway Station) पर खाना एवं पानी ले जाने के लिए गाड़ी किराया पर लेते हैं।
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