प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार: वैशाली की बरैला झील, यहां मन मोह लेता प्रवासी पक्षियों का कलरव; भगवान राम से है नाता
Vaishali Tourist Place वैशाली जिले की बरैला झील अपनी खूबसूरती और मेहमान पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यह झील 489.04 एकड़ में फैली है और इसे 1997 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था। यहां साइबेरियन क्रेन जांघील ओपेन बिल स्टोर्क आदि पक्षी प्रवास करते हैं। बरैला झील का धार्मिक महत्व भी है और मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम के चरण पड़े थे।
रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर। Prakhand Paryatan Darshniya Bihar : वैशाली जिले के जंदाहा और पातेपुर अंचल की बरैला झील। यह पूरे बिहार में अपनी खूबसूरती के लिए विख्यात है। यहां की पारिस्थितिकी व जलवायु ऐसी है कि सात समंदर पार से मेहमान पक्षी आते हैं। पक्षियों का झुंड यहां कई माह तक प्रवास कर वंशवृद्धि करता है और फिर परिवार के नए सदस्यों संग अपने देश वापस हो जाते हैं।
मेहमान पक्षियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में यहां के मनोरम दृश्य को थोड़ी नजर लग गई थी। कुछ तो प्रकृति की उपेक्षा, तो कुछ अज्ञानियों के कारण। कुछ लोग मेहमान पक्षियों का शिकार करने लगे।
विगत वर्ष से यहां प्रशासन के स्तर पर सख्ती हुई तो शिकार थम गया, अब यहां फिर मेहमान पक्षियों का समूह आने लगा है। इस वर्ष भी अक्टूबर से पूरे जाड़े के मौसम में यहां पक्षियों का बसेरा होगा। यह अवधि यहां भ्रमण के लिए श्रेष्ठ है।
यहां आप उन्मुक्त होकर विचरण करते साइबेरियन क्रेन, जांघील, ओपेन बिल स्टोर्क आदि पक्षियों को देखना अद्भुत अनुभव देता है। ये पक्षी मूलत: उत्तरी अमेरिका, सेंट्रल यूरेशिया, उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया से आते हैं।
28 जनवरी 1997 को सलीम अली जुब्बा सहनी पक्षी आश्रयणी के रूप में राज्य सरकार के स्तर पर बरैला झील को अधिसूचित किया गया था। यहां बड़ी संख्या में पर्यटक, पक्षी प्रेमी व पर्यावरण विज्ञानी तो आते ही हैं, साथ ही यह झील क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लिए आजीविका का आधार भी है।
बरैला पर ही उनकी रोजी-रोटी के साथ खेती-बारी भी निर्भर है। आने वाले दिनों में पर्यटकों के ठहराव के लिए आसपास के गांवों में ही पेइंग गेस्ट कल्चर शुरू करने की सरकार की योजना है। बरैला झील क्षेत्र के पहले लेयर में सात गांव हैं। ये सात गांव वे हैं, जो झील के निकट हैं और जिनका सीधा जुड़ाव झील से है।
ये गांव हैं लोमा, दुलौर-बुचौली, अमठामा, कवई, मतैया, महथी धर्मचंद और बिझरौली। दूसरे लेयर में लगभग 30 गांव हैं जिनमें पीरापुर, महिसौर, महिपुरा, सोहरथी, चांदे मरुई, कपसारा, तुर्की, बाजितपुर, तिसिऔता, डभैच आदि। तीसरे लेयर में 60 से अधिक गांव हैं।
यहां पड़े थे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण
बरैला के बारे जनश्रुति है कि यहां भगवान श्रीराम आए थे। यह शोध का विषय हो सकता है कि जनकपुर जाने के दौरान श्रीराम यहां आए थे या जनकपुर से लौटने के दौरान। वर के रूप में भगवान के आगमन को लेकर ‘वर’ ‘अइला’ आगे चलकर अपभ्रंश में बरैला हो गया।
जनश्रुति यह भी है कि भगवान के स्वागत के लिए स्वयं गंगा अपनी बहनों के साथ बरैला में आई थीं और उनके पांव पखारे थे। बरैला को गंगा का दिव्यांग भाई भी माना जाता है। क्षेत्र के बुजुर्ग कहते हैं कि वे होश संभालने के बाद बरैला को इसी रूप में देखते आ रहे हैं। कहते हैं, यह झील प्राकृतिक है।
इस झील का पानी मीठा और सुपाच्य है। कुछ भी खा लीजिए, बरैला का पानी उसे पचा देगा और कुछ ही देर बाद फिर भूख लग जाएगी। एक मान्यता यह भी है कि अगर किसी स्त्री को पुत्र नहीं है तो बरैला झील के पानी में स्नान करने और पूजा करने से उसे पुत्ररत्न की प्राप्ति हो जाती है।
2010 में सीएम ने नौका विहार के दौरान विकास का दिया था निर्देश
तीन दिवसीय वैशाली प्रवास के दौरान 2010 में झील में नौका विहार के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बरैला के विकास का सपना देखा था। वे यहां की प्राकृतिक जैव विविधताओं को देख मुग्ध हुए और कहा था कि यह तो अद्भुत झील है।
इसे तो बिहार के सबसे बड़े पर्यटक विहार के रूप में विकसित किया जा सकता है। मौके पर ही मुख्यमंत्री ने अफसरों को निर्देशित किया था कि तुरंत योजना बनाएं। पर्यटक विहार के रूप में विकसित करने की व्यापक योजना बनी थी।
यहां नौका विहार के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित रेस्तरां बनाने एवं पर्यटन स्थल के रूप में पूरे झील एवं आसपास के क्षेत्र को विकसित करने की योजना पर काम भी शुरू हुआ था। परंतु इसे धरातल पर पूरी तरह नहीं उतारा जा सका। सरकारी रिकार्ड में बरैला झील 489.04 एकड़ और 1.979 वर्ग किलोमीटर में फैली है।
जल संरक्षण में काम को लेकर पीएम कर चुके प्रशंसा
बरैला झील जल संरक्षण का अनूठी मिसाल है। जल संरक्षण में जिले में पूरे देश में उल्लेखनीय कार्य के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशंसा कर चुके हैं। 2015-16 में यहां जल संरक्षण को लेकर सरकारी स्तर पर काफी काम हुआ था। डीएम के रूप में तब रचना पाटिल ने पहल की थी।
हाजीपुर एवं पटना से सड़क एवं रेल मार्ग से पहुंचे बरैला
जंदाहा प्रखंड में स्थित बरैला झील हाजीपुर से सड़क मार्ग से करीब 40 एवं पटना से करीब 60 किलोमीटर है। हाजीपुर-जंदाहा एनएच 322 से यहां पहुंचा जा सकता है। वहीं रेल मार्ग से हाजीपुर आकर यहां से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। नए साल का जश्न मनाने तो यहां प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
ठहरने एवं खाने की व्यवस्था है हाजीपुर में
बरैला के आसपास ठरहने की अभी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके लिए हाजीपुर में होटल उपलब्ध है। वहीं खाने-पीने की उत्तम व्यवस्था है। यहां शाकाहारी एवं मांसाहारी सभी तरह का भोजन उपलब्ध है। वहीं बरैला जाने वाले मार्ग में चौक-चौराहों पर चाय-नाश्ते की छोटी-छोटी कई दुकानें हैं।