स्नातक की परीक्षा का बहिष्कार कर विजय सहनी कूद गए थे जेपी आंदोलन में
स्नातक की परीक्षा का बहिष्कार कर विजय सहनी कूद गए थे जेपी आंदोलन में - मीसा के तहत 20 माह तक बंद रहे मुजफ्फरपुर एवं बक्सर केंद्रीय कारा में काफी सही यातनाएं - हाईकोर्ट गोलंबर के पास जेपी की सभा में पुलिस की लाठीचार्ज में सहनी को आयी थी काफी चोट
By JagranEdited By: Updated: Wed, 24 Jun 2020 11:25 PM (IST)
रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर :
तब उम्र करीब 26 साल की थी। स्नातक की परीक्षा का बहिष्कार कर खुद कर कॅरियर को दांव पर लगाकर हाजीपुर का युवा जेपी के आह्वान पर आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़ा था। 4 नवंबर 1974 को हाईकोर्ट गोलंबर के समीप जेपी पर हुए लाठीचार्ज में काफी चोट आयी थी। हाजीपुर के अस्पताल रोड पर स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के परिसर से मीसा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था। तब के नगर थाना के इंस्पेक्टर भुवनेश्वर पाठक ने यह आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था कि डाकबंगला चौक पट्रोल पंप के समीप स्टेनगन से हमला बोल दिया है। इसी केस में 19 मार्च 1974 को गिरफ्तार कर केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर ले जाया गया। जेल के अंदर भी इस युवा ने आपातकाल के खिलाफ आवाज बुलंद की। इसका परिणाम यह हुआ कि यहां से स्पेशल कैंप जेल भागलपुर ट्रांसफर कर दिया गया। वहां काफी यातनाएं दी गयी। सड़ा हुआ खाना दिया जाता था। खिलाफत करने पर पिटाई की जाती थी। एक बार अनशन पर बैठ गए थे। विशेष सेल में हार्डकोर नक्सलियों के साथ रखा गया था। विद्रोह करने पर जेल अधीक्षक कटोरिया धमकी देते हुए कहता था, इसी जेल में ढ़ाई सौ कैदियों की हत्या कर दी गयी थी।
यह दास्तान है, हाजीपुर के हथससारगंज के रहने वाले विजय कुमार सहनी का। युवावस्था में अपने कॅरियर को दांव पर लगाने वाले सहनी की उम्र करीब 70 वर्ष हो चुकी है। बताते हैं कि 19 मार्च 1974 को गिरफ्तार किए जाने के करीब 20 माह बाद उन्हें 15 नवंबर 1075 को रिहा किया गया था। 9 मार्च 1975 को दिल्ली के वोट क्लब पर जेपी की सभा में उनके उद्बोधन कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है, उस सभा में भी शामिल हुए थे। जेल से रिहा होने के बाद सहनी 1977 में युवा जनता पार्टी के जिला के प्रधान महासचिव के रूप में युवाओं के हक एवं अधिकार के लिए संघर्ष करने लगे। 1980 में लोक दल के जिला सचिव, 1989 में जनता दल के जिला उपाध्यक्ष, 1990 में केंद्रीय सहकारिता अधिकोष वैशाली के निदेशक रहे। इन पदों पर रहते हुए आमजन की समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद की। सहनी की खास पहचान मछुआरों को उनका हक और अधिकार दिलाने के संघर्ष के लिए है। इस संघर्ष के लिए उन्हें 1987 से 2004 तक बिहार राज्य मत्स्य सहकारी संघ लिमिटेड पटना के निदेशक, मंत्री एवं संयुक्त मंत्री के पद पर निर्वाचित किया गया।
सहनी 1994 से 1997 तक बिहार राज्य सैरात रेमिशन कमेटी के अध्यक्ष रहे। जदयू एवं लोजपा के युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रहे। जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं महासचिव रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में वैशाली से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, 1 लाख 44 हजार 750 वोट मिले थे। युवावस्था से ही संघर्ष करने वाले सहनी की खास पहचान मछुआरों के लिए संघर्ष करने को लेकर है। मछुआरों के लिए हमेशा सड़क से लेकर विधानसभा एवं लोकसभा तक आवाज बुलंद करते रहे हैं। हर वर्ष बिहार में जब बाढ़ आती है तो तमाम जिलों के प्रशासन एवं सरकार को सहनी की मदद लेनी पड़ती है। नाव एवं नाविकों की व्यवस्था कर सहनी विभिन्न जिलों में हर वर्ष भेजते हैं।
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