Bihar News: स्वास्थ्य व्यवस्था लचर, बगहा में दो हफ्तों से एंबुलेंस खराब; जैसे-तैसे अस्पताल पहुंच रहीं प्रसूताएं, देखें रिपोर्ट
बिहार के बगहा में दो सप्ताह से एंबुलेंस सेवा बाधित है। जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि एंबुलेंस खराब हो गई है। जिसकी वजह सेलोगों को जिंदगी और मौत से जूझना पड़ रहा है। गंभीर हालत में मरीजों को मजबूरन निजी एंबुलेंस से अस्पताल जाना पड़ रहा है।
By Arjun Kumar JaiswalEdited By: Mukul KumarUpdated: Wed, 01 Nov 2023 08:59 AM (IST)
संवाद सूत्र, हरनाटांड़। करीब डेढ़ लाख की आबादी के बीच स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ में विगत दो सप्ताह से एंबुलेंस सेवा बाधित है। जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एंबुलेंस की समस्या अनुमंडल क्षेत्र के लिए नई नहीं है।
कहीं समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से किसी की जान चली जाती है तो कहीं जान जाते-जाते बचती है। कुछ इसी तरह की समस्या हरनाटांड़ में भी देखी जा रही है।
करीब साल भर पूर्व जब यहां नई एंबुलेंस आई तो लोगों में खुशी थी कि आप एंबुलेंस खराब होने की समस्या से निजात मिलेगी और ससमय लोगों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन साल भर बीते नहीं कि एंबुलेंस खराब हो गई और दो सप्ताह बीतने के बावजूद इसके संचालन प्रभावित है।
अब इसे एनजीओ की मनमानी कहें या अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता। जिसकी वजह से आज भी एंबुलेंस की समस्या से लोगों को जिंदगी और मौत से जूझना पड़ रहा है।
केस एक
वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के धूमवाटांड़ गांव निवासी रवि उरांव की पत्नी रवीना कुमारी की सोमवार की तबीयत अचानक खराब हो गई। रवीना गर्भवती थी ऐसे में समय पूरा होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो गया।अपने स्तर से प्रयास करने के बाद जब उन्होंने आशा को फोन करके एंबुलेंस बुलाने की बात कही तो आशा ने पता चला कि एंबुलेंस बीते दो सप्ताह से खराब है। ग्रामीण इलाका होने की वजह से रात में ससमय वाहन मिलना आसान नहीं था।
इसकी वजह से काफी देर तक गांव में इधर-उधर घूमने के बाद गाड़ी मिली। फिर भाड़े के उस वाहन से प्रसूता को प्रसव के लिए पीएचसी हरनाटांड़ में भर्ती कराया गया। तब तक प्रसूता का दर्द से हाल बेहाल था। हालांकि अस्पताल पहुंचने के कुछ देर बाद ही रवीना का सुरक्षित प्रसव हुआ और तब जाकर जच्चा बच्चा की जान बची।
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चिउटाहां निवासी गर्भवती अफसाना खातून के साथ थी। पति घर पर नहीं थे। ऐसे में भैंसुर हसनैन अंसारी और भाभी गुलशन खातून ने प्रसव पीड़ा से तड़पती अफसाना को एंबुलेंस के अभाव में निजी भाड़े के वाहन से पीएचसी हरनाटांड़ भर्ती कराया। इस दौरान गुलशन खातून ने बताया कि एंबुलेंस के अभाव में 800 रुपये खर्च कर टेंपो से अस्पताल पहुंचे हैं। अगर एंबुलेंस सही रहती तो हम गरीबों का आर्थिक नुकसान नहीं होता।संचालक की मनमानी
ग्रामीण मुन्ना मोदनवाल, सुशील मिश्रा, पिंटू कुमार, रवि उरांव, दिलखुश महतो, इब्राहिम अंसारी, देवनाथ काजी व रामेश्वर प्रसाद आदि का कहना है कि प्रसूता से लेकर दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों तक को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन एनजीओ के माध्यम से संचालित एंबुलेंस आए दिन किसी न किसी समस्या से बंद रहती है। इसकी वजह से ऐसे गंभीर मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बीते दिनों अनुमंडल अस्पताल बगहा में भी एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था।इसके बावजूद भी एंबुलेंस का संचालन करने वाली एनजीओ संस्था इन समस्याओं को दरकिनार करते हुए लापरवाही बरत रही है। ऐसे में इन एनजीओ संस्थाओं पर लगाम लगाने की जरूरत है। ताकि एंबुलेंस सुचारू से चले और किसी की जान पर आफत न आए।यह भी पढ़ें- बिहार: यहां एंबुलेंस नहीं... एक खाट, चार कंधों पर टिकी जिंदगी; जानिए क्या है पूरा मामला यह भी पढ़ें- बिहार तक फैला है BRD के एंबुलेंस माफिया का नेटवर्क, अस्पताल पहुंचने से पहले मरीजों का हो जाता है सौदाएंबुलेंस का संचालन एनजीओ करती है। बीते दो सप्ताह से एंबुलेंस में खराबी का हवाला देकर मोतिहारी में बनने के लिए भेजा गया है। जो अभी तक नहीं आया है। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से बात हुई है। शीघ्र सेवा बहाल होने की आशा है।
डा. राजेश कुमार सिंह नीरज, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी